पश्चिमी राजस्थान में सूखा गया सावन, फसलें खराब, PMFBY में अब तक नहीं हुई क्रॉप कटिंग

पश्चिमी राजस्थान में सूखा गया सावन, फसलें खराब, PMFBY में अब तक नहीं हुई क्रॉप कटिंग

इस बार मानसून जल्दी आने के कारण किसानों ने फसलों की बुवाई जल्दी कर दी और समय-समय पर बारिश होने के कारण किसानों की फैसले बहुत ही शानदार थीं. लेकिन पश्चिमी राजस्थान में  पिछले 40 दिनों से बारिश नहीं हुई है. इससे किसानों कि फसलें चौपट हो चुकी हैं. जो फसल बची है उसमें कीट लग गए हैं.

पश्चिमी राजस्थान में सूखा गया सावन, फसलें खराब, PMFBY में अब तक नहीं हुई क्रॉप कटिंग. GFX- Sandeep Bhardwajपश्चिमी राजस्थान में सूखा गया सावन, फसलें खराब, PMFBY में अब तक नहीं हुई क्रॉप कटिंग. GFX- Sandeep Bhardwaj
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Aug 31, 2023,
  • Updated Aug 31, 2023, 3:44 PM IST

पश्चिमी राजस्थान के किसान इस साल कुदरत का कहर झेल रहे हैं. कुदरत के साथ-साथ किसान सरकारी बदइंतजामी से भी आज़िज आ चुके हैं. बीते 40 दिन से पूरे क्षेत्र में बारिश नहीं हुई है. किसानों की फसलें या तो सूख गई हैं या किसान उसे काटना शुरू कर चुके हैं. लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत होने वाली क्रॉप कटिंग की प्रक्रिया अभी भी शुरू नहीं हो पाई है.

इससे पानी की कमी से सूखी फसलें नुकसान के दायरे से बाहर हो जाएंगी और लाखों किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाएगा. इसीलिए क्षेत्र में किसान सरकार से क्रॉप कटिंग शुरू कराने की मांग कर रहे हैं. 

50 फीसदी किसानों ने काट ली फसलें

बारिश नहीं होने से किसानों ने अपनी फसलें काटना शुरू कर दिया है. नुकसान की जानकारी लेने के लिए किसान तक ने नागौर में भारतीय किसान यूनियन टिकैत की शाखा से जुड़े रामपाल धौलिया से बात की. वे बताते हैं, “इस बार मानसून जल्दी आने के कारण किसानों ने फसलों की बुवाई जल्दी कर दी और समय-समय पर बारिश होने के कारण किसानों की फैसले बहुत ही शानदार थीं. लेकिन पश्चिमी राजस्थान में  पिछले 40 दिनों से बारिश नहीं हुई है. इससे किसानों कि फसलें चौपट हो चुकी हैं. जो फसल बची है उसमें कीट लग गए हैं. पश्चिमी राजस्थान में तो लगभग 50% किसानों ने  अपनी बची-कुची फसल काट ली है. सितंबर में 10 तारीख तक मूंग की कटाई तो लगभग पूरी हो जाएगी.”

मूंग की फसल में इस तरह लग चुके हैं कीट.

रामपाल कहते हैं कि क्षेत्र में किसान बहुत ज्यादा मायूस हैं. नुकसान की भरपाई की उम्मीद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से थी, लेकिन ये उम्मीद अब नहीं दिखती. क्योंकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्लेम का आंकलन फसल कटाई प्रयोग के आधार पर होता है. इस समय राजस्थान में पटवारी हड़ताल पर हैं तथा प्राथमिक कार्यकर्ताओं (पटवारी) की ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी भाग नहीं ले रहे हैं और फसल कटाई प्रयोग करने से मना कर रहे हैं.

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ऐसे में किसानों का हो जाएगा करोड़ों का नुकसान

रामपाल सवाल करते हैं, “जब फसलें ही कट जाएंगी तो फिर क्रॉप कटिंग कैसे की जाएगी? कागजी फॉर्मेलिटी टेबल पर बैठकर पूरी कर ली जाएगी और किसान क्लेम से वंचित रह जाएंगे. नुकसान के आंकलन के लिए गिरदावरी 15 सितंबर से शुरू होने वाली है और इसके 15 अक्टूबर तक पूरे होने की संभावना है.

अगर इसके बाद क्रॉप कटिंग की प्रक्रिया चालू की जाती है, तब तक खेतों में कुछ भी नहीं बचेगा. क्रॉप कटिंग नहीं होगी को कंपनी क्लेम भी नहीं देगी. क्योंकि बिना क्रॉप कटिंग के क्लेम का निर्धारण नहीं होता है. वहीं, अगर सेटेलाइट से फसल खराबे का आंकलन करेंगे तो फसलें तो हरी दिख सकती हैं, लेकिन फसल के दाने का आंकलन करना असंभव है.”

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बिना गिरदावरी के हो सकती है क्रॉप कटिंग

रामपाल जानकारी देते हैं कि पीएम फसल बीमा योजना के नियमों के मुताबिक अगर सरकार आदेश जारी करे तो मुख्य फसलों की क्रॉप कटिंग बिना गिरदावरी के ही की जा सकती है. ऐसा पिछले सालों में कई बार जिला प्रशासन ने किया है.  इसीलिए सरकार पर्यवेक्षकों को निर्देशित करे कि मुख्य फसलों के लिए गिरदावरी की आवश्यकता नहीं है.

इसीलिए बिना गिरदावरी के ही रेंडम नंबरों के आधार पर प्लॉट का चयन कर मूंग का फसल कटाई प्रयोग जल्द से जल्द पूरा करे. साथ ही बीमा कंपनी के जिला प्रबंधकों को भी पाबंद करे कि समय पर अपने प्रतिनिधि फसल कटाई प्रयोग में साथ रखें ताकि किसी भी प्रकार की विवादित स्थिति नहीं हो और फसल कटाई प्रयोग वास्तविक हो सके. 
 

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