राजस्थान सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए विभिन्न योजनाओं में वित्तीय स्वीकृति जारी की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में मंजूरी दे दी है. इससे प्रदेश के लाखों किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा. सरकार ने कुल 592 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. गहलोत सरकार के इस निर्णय से नैनो यूरिया, कृषि यंत्र खरीदने, ड्रोन उपलब्ध कराने, एफपीओ गठन जैसी योजनाओं का लाभ प्रदेश के किसानों को मिलेगा.
राजस्थान सरकार की ओर से 592 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति से किसान कई योजनाओं का लाभ पाने में सक्षम हो जाएंगे. इसमें नैनो यूरिया के ड्रोन से छिड़काव के लिए 4.50 करोड़ रुपए की 250 लागत आएगी. इसके लिए 10 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में लागत के 75 प्रतिशत या अधिकतम 4500 रुपए प्रति हैक्टेयर की अनुदानित दर रखी गई है.
वहीं, पांच लाख भूमिहीन श्रमिकों को हस्तचालित कृषि यंत्र खरीदने के लिए प्रति परिवार पांच हजार रुपए की सब्सिडी दी जाएगी. इस योजना में राजस्थान सरकार 250 करोड़ रुपए खर्च करेगी.
सरकार की ओर से जारी किए 592 करोड़ रुपये में से किसान 250 करोड़ रुपये के कृषि यंत्र और पशुपालक हस्तचालित या बिजली से चलने वाले चाफ कटर किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे. इन 250 करोड़ रुपये से वित्तीय वर्ष 2023-24 में एक लाख किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे.
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वहीं, 50 हजार पशुपालक किसानों को सब्सिडी रेट पर हस्तचालित या बिजली से चलने वाले चाफ कटर यंत्र दिए जाएंगे. इसके अलावा कृषि स्नातक बेरोजगार युवाओं को भी एक हजार ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके लिए युवाओं को चार-चार लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. बेरोजगार युवाओं के अलावा कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) तथा कस्टम हायरिंग केंद्रों को भी ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे.
सरकार की ओर से 592 करोड़ रुपये का जो प्रस्ताव पास किया गया है, उसमें दो मद से पैसा खर्च किया जाएगा. इसमें कृषक कल्याण कोष से 588 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 4.60 करोड़ रुपए (राज्यांश) का प्रावधान किया गया है. इस स्वीकृति से प्रदेश के लाखों किसान एवं पशुपालक लाभान्वित होंगे.
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इस साल 10 फरवरी को आए बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2023-24 के बजट में कृषि संबंधी अनेक घोषणाएं की थीं. इनमें बेरोजगार युवाओं को सब्सिडी पर ड्रोन उपलब्ध कराने, किसानों को कृषि यंत्र देने, नैनो यूरिया उपलब्ध कराने जैसी कई घोषणाएं की थीं. इसी संबंध में सरकार ने 592 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है.
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