बुधवार को संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जब हाथ बढ़ाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ मिलाया. यह तब हुआ जब दोनों नेता 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिरला का अभिवादन कर रहे थे. राहुल गांधी ने अपने संबोधन में सदन को याद दिलाया कि इस बार विपक्ष पिछली बार की तुलना में भारतीय जनता के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है. गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि सदन में विपक्ष की आवाज सुनी जाना बहुत जरूरी है. पीएम मोदी और राहुल गांधी का हैंडशेक सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने बिरला को बधाई देते हुए कहा, 'यह सम्मान की बात है कि आप दूसरी बार इस कुर्सी पर चुने गए हैं. मैं आपको पूरे सदन की ओर से बधाई देता हूं और अगले पांच वर्षों के लिए आपके मार्गदर्शन की आशा करता हूं. आपकी मधुर मुस्कान पूरे सदन को खुश रखती है.' वहीं, राहुल गांधी ने कहा, 'मैं आपको पूरे विपक्ष और इंडिया गठबंधन की ओर से बधाई देना चाहता हूं. आप लोगों की आवाज के आखिरी निर्णायक हैं.'
राहुल गांधी ने आगे कहा कि सरकार के पास राजनीतिक शक्ति हो सकती है, लेकिन विपक्ष भी लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करता है. विपक्ष आपके काम में आपकी सहायता करना चाहेगा, मुझे विश्वास है कि आप हमें सदन में बोलने की अनुमति देंगे.' दूसरी तरफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी. एक दिन पहले ही कांग्रेस ने लोकसभा सचिवालय को इस पद के लिए उनके नाम की जानकारी दी थी. बुधवार को जारी एक अधिसूचना में, लोकसभा सचिवालय ने कहा कि कांग्रेस के नेता गांधी को 9 जून से आधिकारिक तौर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई है.
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10 साल के बाद यह पहली बार है जब निचले सदन में विपक्ष का नेता होगा. अभी तक कांग्रेस या दूसरे विपक्षी दलों के पास 16वीं और 17वीं लोकसभा में इस पद का दावा करने के लिए जरूरी 10 प्रतिशत सांसद नहीं थे. उत्तर प्रदेश के रायबरेली से कांग्रेस सांसद गांधी को संसद में विपक्ष के नेताओं के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1977 की धारा 2 के तहत विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई है. गांधी, जो पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के साथ नव-निर्वाचित बिरला को स्पीकर की कुर्सी तक ले गए, ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस भूमिका में उनकी नियुक्ति के लिए धन्यवाद दिया.
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राहुल जो आमतौर पर सफेद टी-शर्ट और पैंट में नजर आते हैं, विपक्षी नेता के तौर पर अपने पहले दिन सफेद कुर्ता-पायजामा पहने हुए थे. ढाई दशक से ज्यादा के अपने राजनीतिक जीवन में यह पहला मौका है जब गांधी ने कोई संवैधानिक पद संभाला है. विपक्ष के नेता के तौर पर अब गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा. इससे प्रोटोकॉल लिस्ट में भी उनकी स्थिति मजबूत होगी. वे लोकपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के अलावा केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रमुखों के चयन जैसे महत्वपूर्ण नियुक्तियों के लिए गठित महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य भी होंगे. इन सभी समितियों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं.