
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सरकार से फसलों के उचित दाम दिलाने की मांग की है. एसकेएम ने एक प्रेस रिलीज जारी कर फसलों के दाम में भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति बताई है और सरकार से तुरंत इस पर ध्यान देने की अपील की है. एसकेएम ने कहा, प्याज किसानों को देशभर में कीमत गिरने के कारण मजबूरन अपनी फसल औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है और वे कर्ज में डूबे जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के छोटे और मध्यम किसान 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की दर पर प्याज बेचने को मजबूर हैं. 2 दिसंबर को मध्य प्रदेश की विभिन्न मंडियों में प्याज की कीमतें ₹50 से ₹116 प्रति क्विंटल तक रहीं. इंदौर एपीएमसी में कीमत ₹128 से ₹688 प्रति क्विंटल और मंदसौर एपीएमसी में ₹170 से ₹199 प्रति क्विंटल तक दर्ज की गई.
2 दिसम्बर 2025 को आंध्र प्रदेश में औसत कीमत ₹419, हरियाणा की पिपली एपीएमसी में ₹465, दिल्ली की आजादपुर मंडी में ₹500 और गुजरात में लगभग ₹605 प्रति क्विंटल थी. कर्नाटक में औसत कीमत लगभग ₹1,338 प्रति क्विंटल रही, लेकिन कई बाजारों में न्यूनतम मूल्य ₹200 प्रति क्विंटल तक दर्ज किया गया. महाराष्ट्र के लासलगांव—जो भारत की सबसे बड़ी प्याज मंडियों में से एक है—में औसत कीमत लगभग ₹1,850 प्रति क्विंटल और न्यूनतम ₹300 रही. मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान उत्पादन और परिवहन लागत भी न निकलने के कारण अपनी उपज फेंकने को मजबूर हुए. इसी समय दिल्ली में उपभोक्ता ₹50–₹60 प्रति किलो प्याज खरीद रहे हैं.
एसकेएम ने प्रेस रिलीज में कहा है, प्रशासन विभिन्न फसलों पर घोषित ए2+FL+50% एमएसपी लागू कराने में असफल है. धान की एमएसपी वर्ष 2025–26 के लिए ₹2,369 प्रति क्विंटल घोषित है, जबकि उत्तर प्रदेश में किसानों को ₹1,800 प्रति क्विंटल और बिहार में ₹1,400 क्विंटल तक बेचना पड़ रहा है. हरियाणा जैसे राज्य, जहां एपीएमसी कार्यरत हैं, वहां भी किसान घोषित एमएसपी से ₹200 कम पर बेचने को विवश हैं.
मध्यम श्रेणी कपास के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित ₹7,710 प्रति क्विंटल एमएसपी किसानों को नहीं मिल रहा है. आंध्र प्रदेश–तेलंगाना सीमा पर निजी व्यापारी ₹5,000–₹6,000 प्रति क्विंटल तक ही दे रहे हैं. आंध्र प्रदेश की आदोनी मंडी में 28 नवंबर 2025 को कीमत ₹4,059 रही. उसी दिन मध्य प्रदेश में औसत कीमत ₹6,600 थी. बरवानी जिले के अंजड़ में कीमत ₹5,400–₹6,950 रुपये के बीच दर्ज हुई. राजस्थान में दैनिक औसत ₹4,800–₹7,200 (27 नवम्बर 2025) और तमिलनाडु में ₹6,769 रही. गुजरात के बोदेली एपीएमसी में ₹6,051–₹6,570 (28 नवम्बर 2025) और अमरेली जिले में ₹5,400 (29 नवम्बर 2025) रही.
एसकेएम ने कहा, सी2+50% के अनुसार कपास का एमएसपी ₹10,121 होना चाहिए, लेकिन किसान व्यापारियों और दलालों द्वारा बुरी तरह लूटे जा रहे हैं, जबकि ये कंपनियां किसानों के नुकसान पर भारी मुनाफा कमा रही हैं. मोदी सरकार ने अमेरिका के दबाव में 11% आयात शुल्क समाप्त कर दिया, जिससे जीरो टैरिफ आयात ने घरेलू बाजार में कपास की कीमतों को धराशायी कर दिया.
प्रामाणिक रिपोर्ट के अनुसार केरल में वर्ष 2024–25 में ₹2,820 प्रति क्विंटल की दर से 2 लाख से अधिक किसानों से 5.80 लाख मीट्रिक टन धान (85% खरीद) खरीदा गया. छत्तीसगढ़ में ₹3,100 प्रति क्विंटल की दर से 27 लाख पंजीकृत किसानों से 149.25 लाख मीट्रिक टन धान (74.9%) खरीदा गया. ओडिशा में ₹3,169 प्रति क्विंटल पर 92.63 लाख मीट्रिक टन धान (लगभग 100%) खरीदा गया. केरल सरकार ने 2025–26 से धान का एमएसपी बढ़ाकर ₹3,000 क्विंटल कर दिया है.
एसकेएम मांग करता है कि इन तीन राज्यों में सी2+50% (₹3,012 प्रति क्विंटल) पर की गई खरीद से वास्तविक किसानों को जो लाभ मिला है उसके लिए पारदर्शी निगरानी प्रणाली लागू की जाए.
तेलंगाना में ₹2,889 प्रति क्विंटल (उत्तम किस्म पर ₹500 अतिरिक्त) पर वर्ष 2024–25 में 281 लाख मीट्रिक टन उत्पादन में से 139 लाख मीट्रिक टन (50%) की खरीद हुई. तमिलनाडु में 109.51 लाख मीट्रिक टन उत्पादन में से 47.99 लाख मीट्रिक टन (44%) खरीद ₹2,545 प्रति क्विंटल पर की गई.
एसकेएम मांग करता है कि केंद्र और अन्य राज्यों की सरकारें स्पष्ट करें कि जब केरल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ सी2+50% पर एमएसपी दे सकते हैं, तो बाकी देश में यह क्यों नहीं किया जा रहा है. एसकेएम अपने इस मूल मांग को दोहराता है कि सभी फसलों के लिए सी2+50% पर कानूनी गारंटी सहित खरीद सुनिश्चित की जाए, और विपणन और मूल्यवर्धन से होने वाले अधिशेष लाभ को किसानों और कृषि मजदूरों में बांटा जाए, ताकि किसानों का मजबूरी में फसल बेचना, कर्ज, आत्महत्या और कृषि संकट समाप्त हो सके.