केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को अहमदाबाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से आई महिला सहकारी सदस्यों के साथ 'सहकार संवाद' किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि जब वह रिटायर होंगे तो अपना समय वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के बीच बिताएंगे. रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती स्वास्थ्य, पर्यावरण और उत्पादन के लिहाज से बेहद फायदेमंद है. अपने खेतों में उन्होंने जब प्राकृतिक खेती अपनाई तो उत्पादन में लगभग डेढ़ गुना वृद्धि हुई. उन्होंने बताया कि इस दिशा में सरकार राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था बना चुकी है, जो प्राकृतिक उत्पादों की खरीद करेगी और निर्यात से हुए मुनाफे को सीधे किसानों के खाते में डालेगी.
सहकार संवाद में शाह ने त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर बन रहे देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए कहा कि यह संस्थान युवा प्रोफेशनल्स को सहकारी क्षेत्र के लिए तैयार करेगा. उन्होंने बताया कि त्रिभुवनदास ने गुजरात में सहकारिता की नींव रखी थी, जिनके नेतृत्व में आज 36 लाख महिलाएं 80 हजार करोड़ रुपये का कारोबार कर रही हैं.
शाह ने कहा कि सहकारी डेयरी मॉडल को अब नया विस्तार दिया जा रहा है. गोबर प्रबंधन, पशु आहार, हेल्थ मैनेजमेंट और जैविक खाद, इन सभी पर एकीकृत योजना बन रही है. उन्होंने बताया कि सरकार ऐसे मॉडल पर काम कर रही है, जिसमें गांव के 500 में से 400 डेयरी किसान सहकारी संस्था से जुड़ें. इनसे गोबर लिया जाएगा, जैविक खाद और गैस बनाई जाएगी और पशुओं का वैक्सीनेशन भी सुनिश्चित होगा.
शाह ने कहा कि जब संसद में यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास के नाम पर रखने की घोषणा हुई तो कई लोगों ने सवाल उठाया कि ये कौन हैं. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि इतने बड़े योगदान के बावजूद त्रिभुवनदास को प्रचार नहीं मिला, लेकिन उनके काम को पहचान देना जरूरी है. शाह ने यह भी अपील की कि हर सहकारी संस्था में त्रिभुवनदास की तस्वीर लगाई जाए.
अमित शाह ने बताया कि पैक्स (PACS) को अब CSC, माइक्रो एटीएम, बैंकिंग सेवा, जन औषधि केंद्र और हर घर नल जैसी 25 से ज्यादा सेवाओं से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि पैक्स को आय अर्जन के नए विकल्प अपनाने चाहिए और ग्रामीणों को सस्ती दर पर दवाएं देने के लिए जन औषधि केंद्र की सेवाओं को और विस्तार देना चाहिए.
शाह ने बताया कि अगर मक्का और दाल की खेती करने वाले किसान एनसीसीएफ ऐप पर पंजीकरण कराते हैं तो नाबार्ड और एनसीसीएफ किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का और दाल की खरीद कर सकते हैं और अगर किसान को बाजार में अधिक मूल्य मिल रहा है, तो वह अपनी फसल बाजार में बेच भी सकता है.
कार्यक्रम में शाह ने जानकारी दी कि गुजरात और राजस्थान सरकार मिलकर ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर रिसर्च कर रही हैं. इसका मकसद ऊंट पालकों की आमदनी बढ़ाना है. उन्होंने बताया कि जब दूध की वैल्यू बढ़ेगी तो नस्ल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.
अंत में शाह ने कहा कि गृह मंत्री होना बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन जब उन्हें सहकारिता मंत्रालय मिला तो उन्हें लगा कि यह जिम्मा गृह मंत्रालय से भी बड़ा है, क्योंकि यह मंत्रालय गांव, गरीब, किसान और पशुपालकों के लिए काम करता है. उन्होंने घोषणा की कि वे तीन राज्यों में 10 और संवाद कार्यक्रम करेंगे और उनसे मिले सुझावों को मंत्रालय की नीति में शामिल किया जाएगा.