कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है. यह एक ऐसा पद है जिसके साथ संसद में कुछ शक्तियां जुड़ी होती हैं. 10 साल में यह पहली बार है कि कांग्रेस के किसी सदस्य को विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है. साल 2014 और 2019 में लोकसभा में कांग्रेस की सीटें 10 प्रतिशत से भी कम थीं. लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए विपक्षी दल को कम से कम 55 सीटों की जरूरत है और कांग्रेस पार्टी को 2024 के आम चुनावों में 99 सीटें मिली हैं.
संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक विपक्ष का नेता कोई संवैधानिक पद नहीं है. लेकिन इससे राहुल गांधी को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में कुछ शक्तियां प्राप्त होंगी जिसमें महत्वपूर्ण नियुक्तियां भी शामिल हैं. राहुल के ढाई दशक से ज्यादा के राजनीतिक करियर में यह पहला मौका है जब उन्होंने कोई संवैधानिक पद संभाला है. विपक्ष के नेता के तौर पर अब गांधी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा. इससे प्रोटोकॉल लिस्ट में भी उनकी स्थिति मजबूत होगी.
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वह लोकपाल, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के अलावा केंद्रीय सतर्कता आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रमुखों के चयन जैसे महत्वपूर्ण नियुक्तियों के लिए गठित महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य भी होंगे. इन सभी समितियों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं. विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी महत्वपूर्ण संसदीय समितियों के सदस्य होंगे. प्रमुख पदों पर नौकरशाहों की नियुक्ति में भी उनकी भूमिका होगी.
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राहुल गांधी को एक निजी सचिव, दो अतिरिक्त निजी सचिव, दो सहायक निजी सचिव, दो निजी सहायक, एक हिंदी स्टेनो, एक क्लर्क, एक सफाई कर्मचारी और चार चपरासी भी मिलेंगे. उन्हें 1954 के कानून की धारा 8 के तहत निर्दिष्ट दर पर निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मिलेगा, साथ ही हॉस्पिटैलिटी अलाउंस यानी सत्कार भत्ता भी मिलेगा. 1977 के कानून के अनुसार, 'विपक्ष का नेता, जब तक वह ऐसे नेता के रूप में बना रहता है और उसके तुरंत बाद एक महीने की अवधि के लिए, किराए का भुगतान किए बिना फर्नीश्ड घर के प्रयोग का हकदार होगा. ऐसे आवास के रखरखाव के संबंध में विपक्ष के नेता पर व्यक्तिगत रूप से कोई शुल्क नहीं लगेगा.'
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राहुल गांधी गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं जो विपक्ष के नेता का पद संभाल रहे हैं. उनसे पहले उनके माता-पिता सोनिया गांधी और राजीव गांधी विपक्ष के नेता का पद संभाल चुके हैं. राजीव गांधी 1989-1990 तक विपक्ष के नेता के पद पर रहे जबकि सोनिया गांधी 1999 से 2004 तक विपक्ष के नेता के पद पर रहीं. राहुल, सांसद के तौर पर संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 की धारा 3 के तहत तय सैलरी और बाकी सुविधाएं और भत्ते पाने के अलावा कैबिनेट मंत्री के निजी स्टाफ के समान दर्जा और सचिवीय सहायता के भी हकदार होंगे.