पीएम करेंगे वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास, बिहार के किसानों ने कहा जमीन का नहीं मिला सही दाम

पीएम करेंगे वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास, बिहार के किसानों ने कहा जमीन का नहीं मिला सही दाम

भारत माला परियोजना के तहत वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे निर्माण में जमीन का कम मूल्य मिलने से किसान बैठे धरने पर. कैमूर जिले के पांच प्रखंड के किसान सरकार के इस निर्णय का कर रहे हैं विरोध. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास करेंगे. 

 Varanasi Kolkata Greenfield Expressway Varanasi Kolkata Greenfield Expressway
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • KAIMUR ,
  • Feb 22, 2024,
  • Updated Feb 22, 2024, 6:04 PM IST

इन दिनों देश सहित दुनिया की नजर दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन पर है. लेकिन इस आंदोलन के अलावा अन्य राज्यों में भी किसान अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर सरकार के आमने सामने खड़े हो गए हैं. देश की राजधानी दिल्ली से करीब हजार किलोमीटर दूर दक्षिण बिहार के प्रवेश द्वार कैमूर जिले के पांच प्रखंड के किसान सरकार के खिलाफ जमकर अपने विरोध दर्ज कर रहे हैं. भारतमाला परियोजना के तहत वाराणसी से रांची कोलकाता के बीच एक्सप्रेस वे निर्माण किया जा रहा है. लेकिन उस भूमि का उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है जिसको लेकर किसान और सरकार आमने सामने हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें आज के सर्किल रेट से दाम नहीं मिल रहा है. बल्कि 2013 के सर्कल रेट से आवासीय हो या व्यावसायिक जमीन या कृषि आधारित, सभी जमीनों का मूल्य कृषि आधारित जमीन के हिसाब से दिया जा रहा है. 

चार राज्यों से होकर गुजरेगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे

भारतमाला परियोजना के तहत वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी को अपने वाराणसी दौरे के दौरान करने वाले हैं. 6 लेन में बनने वाला ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे करीब 611 किलोमीटर लंबा होगा, जो 4 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को जोड़ेगा. यह एक्सप्रेस वे चंदौली के बरहुली गांव में वाराणसी रिंग रोड से शुरू होकर बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिलों से गुजरते हुए झारखंड और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुरा और आरामबाग में जाकर समाप्त होगा.

ये भी पढ़ें-बिहार के इस किसान ने मल्चिंग विधि से की लहसुन की खेती,  कम जगह में मिली अधिक उपज

बाजार भाव से कम मिल रहा है जमीन का दाम

किसान संघर्ष मोर्चा के कैमूर जिला महासचिव पशुपतिनाथ सिंह किसान तक को बताते हैं कि पिछले 52 दिन से चैनपुर प्रखंड के मसोई गांव में लगी निर्माण कंपनी पीएमसी के गोदाम के मुख्य द्वार पर धरना दिया जा रहा है. धरना देने की वजह वाराणसी कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण में जाने वाली जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिला बताया जा रहा है. सिंह कहते हैं कि सरकार जमीन का अधिग्रहण 2013 के कृषि आधारित सर्किल रेट से करना चाहती है. पच्चीस डिसमिल (एक बीघा) जमीन का मूल्य तीन लाख रुपये के आसपास मिल रहा है जबकि उत्तर प्रदेश में करीब इसी जमीन का मूल्य करीब सोलह लाख रुपये के आसपास किसानों को मिल रहा है. 

आवासीय, कृषि और व्यावसायिक सभी प्रकार की जमीनों का मूल्यांकन

कैमूर के इन इलाकों से गुजर रहा है एक्सप्रेस वे

किसान अभिमन्यु सिंह, अवधेश सिंह सहित अन्य किसान बताते हैं कि कैमूर जिले के पांच प्रखंड चांद, चैनपुर, भभुआ, भगवानपुर और रामपुर की सोलह सौ एकड़ के आसपास जमीन एक्सप्रेसवे में  जा रहा है. राज्य की सरकार ने आवासीय, कृषि और व्यावसायिक सभी प्रकार की जमीनों का मूल्यांकन कृषि आधारित जमीन के अनुसार किया है जबकि आज के समय में बाजार का मूल्य प्रति एकड़ चालीस लाख रुपये के आसपास है. इसी के आधार पर किसान चार गुना अधिक मुआवजे की मांग सरकार से कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें- लीची के गुच्छों की बैगिंग करें तो अधिक मिलेगी उपज, कीटों से भी होगी सुरक्षा

तीन करोड़ की जमीन का मिल रहा है 90 लाख

चांद प्रखंड के रहने वाले रविशंकर सिंह की करीब आठ एकड़ जमीन एक्सप्रेसवे में जा रही है. इनके अनुसार इनकी जमीन का बाजार मूल्य तीन करोड़ से अधिक है. लेकिन सरकार के द्वारा प्रति एकड़ जमीन का मूल्य बारह लाख के आसपास दिया जा रहा है. यानी आठ एकड़ जमीन के लिए करीब 90 लाख रुपये के आसपास दाम मिल रहा है जबकि कुछ साल पहले दुर्गावती में बने पावर हाउस के लिए किसानों को करीब एक करोड़ 28 लाख प्रति एकड़ दाम मिल चुका है. वहीं चंदौली के सैयदराजा के रहने वाले रजनीश मिश्रा की जमीन चांद प्रखंड के गोई मौजा में एक एकड़ 11 डिसमिल जमीन जा रही है. इसकी कीमत सोलह लाख के आसपास मिल रही है जबकि इनका कहना है कि यूपी में इतनी ही जमीन का साठ लाख से अधिक मूल्य मिल रहा है. 

MORE NEWS

Read more!