
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आए हुए करीब 3 दिन बीत चुके हैं. जहां एनडीए को राज्य में प्रचंड बहुमत मिला और अब 202 विधानसभा सीटों के साथ राज्य में सरकार बनाने जा रही है. एक ओर राज्य के अगले मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार फिर नीतीश कुमार का नाम सामने है. वहीं विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर विजय कुमार सिन्हा तो उपमुख्यमंत्री के तौर पर सम्राट चौधरी, राम कृपाल यादव और मंगल पांडे का नाम की चर्चा तेजी से हो रही है. 20 नवंबर को गांधी मैदान में जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. हालांकि खबर लिखने तक एनडीए की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
लेकिन इन चर्चाओं के बीच एक और भी चर्चा ग्रामीण क्षेत्र से लेकर किसानों के बीच है. वह है कि एनडीए की ओर से जारी चुनावी मेनिफेस्टो में किसानों, युवा और कृषि को लेकर की गई घोषणाएं. किसान अभिजीत सिंह से लेकर कई किसान इस उम्मीद में हैं कि अब अगली किसान सम्मान निधि की राशि केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार को मिलाकर करीब 9000 रुपये पूरे साल में मिलेगी. वहीं फसलों के उचित दाम की बातें भी तेजी से हो रही हैं, क्योंकि हाल के समय में राज्य में धान की कटाई शुरू हो चुकी है और इसके साथ ही धान की खरीदारी भी सरकार की ओर से अब की जाएगी.
बिहार में एनडीए गठबंधन की ओर से जारी अपने संकल्प पत्र में किसानों के लिए कई वादे किए गए है, जिनमें से मुख्य रूप से कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि की शुरुआत की बात की गई है और इस योजना के तहत ₹3000 प्रति वर्ष देने की बात कही गई है. इसके साथ ही 1 लाख करोड़ रुपए का एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने का भी वादा किया गया. दुग्ध मिशन की शुरुआत. साथ ही बिहार में 5 मेगा फूड पार्क एवं 2030 तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के साथ बिहार के मखाना एवं मछली सहित अन्य उत्पादों को ग्लोबल एक्सपोर्ट सेंटर के रूप में विकसित करने की बात संकल्प पत्र में एनडीए की ओर से की गई है.
वरिष्ठ पत्रकार रविशंकर उपाध्याय कहते हैं कि यह सरकार नई सरकार नहीं है, बल्कि एनडीए की 20 सालों से राज्य में सरकार है. इनके पास यह कहने को नहीं है कि अभी हम सत्ता में नए आए हैं. उनके पास इस तरह के बहाने करने का मौका नहीं है कि संकल्प पत्र में हमने जो वादे किए हैं, किसानों को लेकर उनको पूरा करने में थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि वे खेती-किसानी और बिहार की कृषि को पूरी तरह से जानते हैं.
उन्होंने कहा कि संकल्प पत्र में जारी मेगा फूड पार्क से कहीं ज्यादा आज के समय में राज्य के किसानों को खाद, बीज एवं फसलों के सही दाम मिलना एक बड़ा चैलेंज है. क्योंकि आए दिन किसानों के जरिए सुनने को मिलता है कि बीज नकली मिल रहे हैं और महंगे भी. तो सरकार को इन विषयों पर सोचना होगा. पुरानी गलतियों को सुधारते हुए कुछ नए एवं कठोर नियम और कार्यवाही इन तमाम सेक्टर में सरकार को करनी होगी. वहीं किसान इस उम्मीद में हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा जारी होने वाली अगली 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' की राशि के साथ ही राज्य की ओर से भी संकल्प पत्र में जारी राशि उनके खाते में आ जाए.
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