
हरियाणा में आए दिन किसानों के मुद्दे को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ी रहती है. दरअसल, हरियाणा कांग्रेस की एक प्रतिनिधिमंडल ने 13 नवंबर को राज्यपाल असीम कुमार घोष को किसानों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. उन्होंने इस मुद्दे पर राज्यपाल का ध्यान आकर्षित किया और उनसे राज्य सरकार को उचित निर्देश जारी करने का आग्रह किया. विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के नेतृत्व में पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में हुई भारी बारिश से किसानों को हुए नुकसान का मुद्दा उठाया.
ज्ञापन में लिखा गया है कि राज्य भर में हाल ही में हुई भारी बारिश से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. धान, कपास और अन्य खरीफ फसलों के खेत जलमग्न हो गए हैं, जिससे किसानों को गंभीर आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. कई किसानों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक उचित सर्वेक्षण या कोई ठोस मुआवजा घोषित नहीं किया है. इस साल की फ़सल पहले ही भारी बारिश से बर्बाद हो चुकी है, और जलभराव अभी भी बना हुआ है, जिससे अगली फसल बोना असंभव हो गया है.
इस ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि सरकार एक विशेष सर्वेक्षण कराए और किसानों को 50,000 से 60,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दे. ज्ञापन में बताया गया है कि भले ही भाजपा सरकार 24 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने की बात करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर यह पूरी तरह से अवास्तविक है. कांग्रेस के ज्ञापन में आगे लिखा गया है कि धान, बाजरा, मूंग और कपास जैसी कई फसलों को बिल्कुल भी MSP नहीं मिल रहा है.
हरियाणा में किसानों को अपना धान और बाजरा MSP से 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल कम पर बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है. साथ ही राज्य में सरकारी धान खरीद में व्यापक अनियमितताओं और घोटालों की शिकायतें सामने आई हैं. प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि कई मंडियों में किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, जबकि कुछ जगहों पर धोखाधड़ी से हुई खरीद-बिक्री के मामलों ने पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ज्ञापन में खाद की भारी कमी और कालाबाजारी की घटनाओं की ओर भी इशारा किया है, और मांग की कि पूरे मामले की जांच हरियाणा उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए. (PTI)