महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों ने केंद्र और राज्य सरकार से साफ शब्दों में प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 3,000 रुपये प्रति क्विंटल यानी 30 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की है. साथ ही मांग उठाई है कि ट्रांसपोर्ट और ईंधन दरों में सब्सिडी दी जाए, ताकि उन्हें फसल का उचित मूल्य मिल सके. ये मांगें लासलगांव प्याज बाजार समिति परिसर में मंगलवार को आयोजित हुई महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ की अहम बैठक में उठी हैं. वहीं, नासिक कलेक्ट्रेट के बाहर किसानों ने प्याज की कम कीमतों को लेकर विराेध-प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा. किसानों ने निर्यात प्रोत्साहन की मांग उठाई है.
वहीं, संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भरत दिघोले की अध्यक्षता में हुई बैठक में किसानों ने साफ कहा कि अगर सरकार ने जल्द कोई ठोस फैसला नहीं लिया तो राज्यव्यापी आंदोलन होगा. भरत दिघोले ने कहा कि प्याज के गिरते भाव और बढ़ती लागत के बीच किसानों को भारी नुकसान हो रहा है, जिसकी भरपाई तभी संभव है जब सरकार एमएसपी तय करे और परिवहन पर राहत दे.
बैठक में पारित प्रस्तावों में प्रमुख मांग यह रही कि केंद्र सरकार प्याज के निर्यात पर स्थायी नीति बनाए और 20 वर्षों तक उसे लागू रखे. साथ ही, प्याज की सरकारी खरीद कम से कम 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर की जाए. बैठक में शामिल किसानों और संघ के नेताओं ने कहा कि जब तक सरकार प्याज को लाभकारी मूल्य पर नहीं खरीदेगी, तब तक नैफेड और एनसीसीएफ जैसी संस्थाओं की खरीद प्रणाली से उन्हें कोई राहत नहीं मिलेगी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस दिशा में तुरंत फैसला नहीं लेती है तो प्याज उत्पादक जिलों में व्यापक विरोध-प्रदर्शन होंगे.
किसानों ने प्याज के परिवहन और निर्यात को आसान बनाने के लिए ट्रांसपोर्ट दरों और ईंधन कीमतों में रियायत की मांग की है. साथ ही, प्याज के प्रमुख उत्पादक जिलों में प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने और निर्यात पर 10 प्रतिशत सब्सिडी की मांग की है.
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने किसानों के हक में राज्य सरकार से मांग की है कि जिन किसानों ने हाल के महीनों में प्याज बहुत कम दामों पर बेचा है, उन्हें कम से कम 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी दी जाए.
भरत दिघोले ने कहा, "किसान साल भर दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन बाज़ार में उन्हें प्याज का जो दाम मिलता है, वह उनकी मेहनत का अपमान है. सरकार को अब जागना चाहिए और ठोस निर्णय लेना चाहिए, अन्यथा किसानों के पास संघर्ष के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा."
संगठन की बैठक में राज्य और जिले के कई संगठन अधिकारी और किसान प्रतिनिधि शामिल हुए. प्याज किसानों के संगठन ने बताया कि वे जल्द ही बैठक में पारित हुई मांगों से जुड़ी प्रस्तावों की एक कॉपी शीघ्र ही लिखित रूप में केंद्र और राज्य सरकार को सौंपेंगे.