अगले कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाला एनडीए गठबंधन कमर कस चुका है. चुनावों में सभी सर्वे बीजेपी की जीत की तरफ ही इशारा कर रहे हैं लेकिन लद्दाख में इस समय जो कुछ हो रहा है, वह पार्टी की टेंशन बढ़ा सकता है. मुख्यधारा की राजनीति से दूर रहने वाला लद्दाख इन दिनों विरोध प्रदर्शनों के कारण सुर्खियों में है. आखिर वहां विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं. लद्दाख जो अक्सर राजनीति से दूरी बनाकर रखता है, वहां पर ये प्रदर्शन परेशान करने वाले हैं. जानिए क्या है इन प्रदर्शनों की वजह और क्यों यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंताओं को इजाफा कर सकते हैं.
पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था. जम्मू-कश्मीर को राज्य की जगह विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. लद्दाख को एक और केंद्र शासित प्रदेश में बना दिया गया, जहां अभी विधानसभा नहीं है. अचानक पांच साल बाद यहां की जनता सड़कों पर उतर आई है. विरोध प्रदर्शन के केंद्र में चार मांगें हैं, जिनमें पूर्ण राज्य का दर्जा, आदिवासी दर्जा, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण और लेह और कारगिल जिलों के लिए संसदीय सीट की मांग शामिल हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शिकायतों पर गौर करने के लिए पिछले साल गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अगुवाई में 17 सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति ने चार दिसंबर, 2023 को लेह और कारगिल के दो संगठनों के साथ अपनी पहली बैठक की. इसमें केंद्र शासित प्रदेश के लिए 'संवैधानिक सुरक्षा उपायों' का वादा किया गया. हालांकि इसमें कोई खास सफलता नहीं मिल सकी.
यह भी पढ़ें- तनाव के बाद भी कनाडा के साथ लगातार बढ़ा भारत का व्यापार, जानिए क्या खरीदते हैं दोनों देश
कड़ाके की ठंड और बर्फबारी में भी प्रदर्शनकारी सड़क पर हैं. इन मांगों को लेकर बीते दिनों लद्दाख में बंद और विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए. यहां के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक भी भूख हड़ताल कर चुके हैं लेकिन वह अप्रभावी साबित हुई. लेह में एक रैली में वांगचुक ने जो कुछ कहा, उससे इस तरफ इशारा मिलता है कि जनता माइनिंग कंपनियों, इंडस्ट्रियल लॉबिंग करने वाली कंपनियों के रवैये पर खासी नाराज है. उन्होंने लद्दाख के नेताओं को इन कंपनियों के प्रभाव में आया हुआ बताया और कहा कि ये नेता अब लद्दाख को बेचने में लग गए हैं.
सोनम वांगचुक की मानें तो अगर लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू हो जाती है तो ये लोग मनमानी नहीं कर पाएंगे. लद्दाख देश का वह हिस्सा है जहां पर बौद्ध धर्म के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है. लेकिन मुसलमान आबादी भी यहां पर अच्छा खासा असर रखती है. ये सभी एक साथ आ गए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं. साल 2019 के बाद से यहां पर यह अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हो रहा है.
यह भी पढ़ें-