तनाव के बाद भी कनाडा के साथ लगातार बढ़ा भारत का व्‍यापार, जानिए क्‍या खरीदते हैं दोनों देश  

तनाव के बाद भी कनाडा के साथ लगातार बढ़ा भारत का व्‍यापार, जानिए क्‍या खरीदते हैं दोनों देश  

शुक्रवार को लोकसभा में उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कनाडा में माल का व्यापार 2023 के पहले 10 महीनों में 8.2 बिलियन डॉलर था, जबकि 2022 में 6.9 बिलियन डॉलर था. इसमें 18.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. ये आंकड़ें इसलिए अहम हैं क्‍योंकि कनाडा और भारत मूल रूप से कृषि उत्‍पादों के लिए निर्भर हैं.

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तनाव के बाद भी कनाडा के साथ लगातार बढ़ा भारत का व्‍यापार, जानिए क्‍या खरीदते हैं दोनों देश  तनाव के बाद भी हुआ व्‍यापार में इजाफा

भारत और कनाडा के बीच सितंबर 2023 से ही तनाव मौजूद है. लेकिन इस टेंशन के बाद भी दोनों देशों के बीच व्‍यापार में इजाफा हुआ है. भारत सरकार की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है. शुक्रवार को लोकसभा में उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कनाडा में माल का व्यापार 2023 के पहले 10 महीनों में 8.2 बिलियन डॉलर था, जबकि 2022 में 6.9 बिलियन डॉलर था, जिसमें 18.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. ये आंकड़ें इसलिए अहम हैं क्‍योंकि कनाडा, भारत पर मूल रूप से कृषि उत्‍पादों के लिए निर्भर है. 

करीब 19 फीसदी का इजाफा 

शुक्रवार को लोकसभा में उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 के पहले 10 महीनों में भारत-कनाडा के बीच माल का व्यापार 8.2 बिलियन डॉलर था, जबकि 2022 में 6.9 बिलियन डॉलर था, जो 18.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद से ही  भारत-कनाडा संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन की तरफ से दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2023 जनवरी से अक्टूबर तक कनाडा को भारत का निर्यात साल 2022 में 3.76 बिलियन डॉलर के मुकाबले 4.1 बिलियन डॉलर था.  

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भारत को देता है पोटाश 

कनाडा के पास दुनिया का सबसे बड़ा पोटाश भंडार है. यह औद्योगिक कृषि और एमओपी उर्वरक उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज है. दुनियाभर में पोटाश भंडार के 30 फीसदी से  ज्‍यादा और शीर्ष उत्पादक होने के साथ ही कनाडा साल 2022 में एमओपी सप्‍लायर था. भारत और कनाडा के बीच तनाव की शुरुआत की वजह से इस तरफ चिंताएं बढ़ गई थीं. 

यूक्रेन और रूस की जंग की वजह से भारत के पास सीमित पोटाश स्रोत रह गए. चीन और कनाडा दोनों ही भारत की कृषि स्थिति पर बारीकी से नजर रखते हैं. जैसे-जैसे संबंध बिगड़ते हैं, कनाडा, भारत से रियायतें मांगकर इसका लाभ उठा सकता है. तनाव के बाद ऐसी खबरें आई थीं कि कनाडा, भारत को पोटाश की सप्‍लाई बैन कर सकता है. फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. 

दाल और चने का सप्‍लायर 

कनाडा, भारत को बेशकीमती कृषि वस्तुओं का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता रहा है. इसमें दाल, तिलहन, कैनोला तेल और फीड ऑयल केक शामिल हैं. दालें, विशेष रूप से मसूर दाल का लगभग 95 फीसदी हिस्सा भारत में कनाडा से आता है. हाल के वर्षों में, कनाडा भारत में लाल दाल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है. इसकी वजह से दाल की कीमतें स्थिर रही हैं. चना, कम आपूर्ति वाला एक अन्य प्रमुख प्रोटीन स्रोत है. इसके कारण कनाडा भारत को सफेद/पीली मटर का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बन गया है. 

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