ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में भोजपुरी गायक पवन सिंह का करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया है. बिहार बीजेपी ने पवन सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. उनके खिलाफ यह कदम पार्टी ने उठाया क्योंकि पवन सिंह ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था. कहा जाता है कि सिंगर से नेता बने पवन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने से पहले राष्ट्रीय जनता दल से भी टिकट मांगा था.
हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार पवन सिंह को बीजेपी का सदस्य माना जाता था लेकिन पार्टी के सूत्र इस मामले पर चुप्पी साधे रहे. एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट में पवन सिंह ने पहले लिखा, 'केवल विकास होगा. कोई शोर नहीं होगा. हम काराकाट को एक नई सुबह देंगे.' राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा दक्षिण बिहार सीट से एनडीए उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. गौरतलब है कि बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट देने का मन बनाया था. मगर उन्होंने टिकट ठुकराने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था.
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इससे पहले पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी ने बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया था. उन्होंने 14 मई को एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था. ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनके बेटे के कहने पर ही उन्होंने नामांकन वापस लिया है, जिन्हें अपने नामांकन के खारिज होने का डर था. 17 मई को कराकट सीट से नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख थी. यहां पर 1 जून को मतदान होना है.
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पवन सिंह के एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के फैसले की कुछ बीजेपी नेताओं ने आलोचना भी की. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने सबसे पहले उनके फैसले का मुखर विरोध किया था. आरके सिंह पड़ोसी आरा लोकसभा सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं. आरके सिंह ने कहा था, 'या तो उन्हें घोषणा करनी चाहिए कि वह कराकट से एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे या उन्हें बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया जाना चाहिए. अगर वह कराकट से चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी से उनका निलंबन उचित निर्णय होगा. उपेंद्र कुशवाहा एनडीए उम्मीदवार हैं.'