हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक पर कुछ लोग अचंभित हैं. लेकिन इस जीत का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि आखिर कैसे बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने में कामयाबी हासिल की है. कैसे किसानों के इतने विरोध के बावजूद बीजेपी पूर्ण बहुत से सत्ता अपने पास बरकरार रखी है. जवान, किसान और पहलवान किसी की भी नाराजगी कांग्रेस का राजनीतिक औजार नहीं बन सकी. दरअसल, इस जीत के समीकरण जातीय गुणाभाग, कांग्रेस की गलतियों, भितरघात और नायब सिंह सैनी की घोषणाओं में छिपी हुई है. बीजेपी नेतृत्व द्वारा चुनाव से पहले सीएम का चेहरा बदलना भी बहुत काम आया. नायब सिंह सैनी अपने कार्यों और घोषणाओं से जनता और अपनी पार्टी की उम्मीद पर खरे उतरे. ऐसे में इस जीत का सही मायने में सेहरा नायब सिंह सैनी के सिर बांधना चाहिए, क्योंकि उन्होंने पूर्व सीएम मनोहरलाल खट्टर की हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया.
बीजेपी ने हरियाणा की सत्ता अपने पास रखने के लिए मार्च में ही जुगत लगाना शुरू कर दिया था. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी इस बात को भांप चुकी थी कि मनोहरलाल खट्टर के नाम पर शायद ही चुनाव जीता जा सके. ऐसे में उन्होंने नाराजगी दूर करने के लिए एक बड़ा दांव चला. खट्टर के रिप्लेसमेंट के तौर पर एक गैर जाट चेहरे के रूप में ही 12 मार्च 2024 को खेती-किसानी से जुड़े समाज से आने वाले नायब सिंह सैनी को सूबे की कमान सौंप दी. सैनी ने खट्टर के व्यवहार के उलट न सिर्फ लोगों से मिलना-जुलना शुरू किया बल्कि ताबड़तोड़ घोषणाएं कीं. जितने भी नाराज ग्रुप हैं उन्हें मनाने की भरपूर कोशिश की, जिससे पार्टी की सियासी जमीन मजबूत होती चली गई.
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बीजेपी ने साढ़े चार साल तक जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नेता दुष्यंत चौटाला के 10 विधायकों की मदद से सरकार चलाई. लेकिन बहुत चालाकी से उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले न सिर्फ गठबंधन तोड़कर सत्ता से बाहर कर दिया बल्कि किसानों की सारी नाराजगी उनके ऊपर डाल दी. हालात ये हो गई कि किसानों ने उनका जमकर विरोध किया. ऐसे में जो दुष्यंत चौटाला 2019 के चुनाव में 10 सीट लेकर किंग मेकर बने थे उन्हें 2024 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 7950 वोट ही मिल पाए और उनकी उचाना कलां सीट से जमानत जब्त हो गई.
हरियाणा में कांग्रेस को किनारे लगाने में शैलजा फैक्टर को भी अहम माना जा रहा है. दरअसल, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के एक समर्थक पर कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा था. इसको लेकर शैलजा नाराज रहीं. दलित समाज ने इसे अपना अपमान समझा. दरअसल, हरियाणा में लगभग 21 फीसदी दलित हैं, उनका करीब 35 सीटों पर असर है. ऐसे में कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित नेत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना हुड्डा की अगुवाई में चुनाव लड़ रही कांग्रेस पर भारी पड़ा.
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