संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने खनौरी और शंभू बॉर्डर पर हुए किसान आंदोलन के खर्च का ब्योरा दिया है. इसी के साथ मोर्चा ने यह भी बताया है कि उनकी आगे की रणनीति क्या है. इस बारे में किसान मोर्चा ने चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अगले किसान आंदोलन के बारे में बताया. मोर्चा ने कहा कि 5 जुलाई को MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर तमिलनाडु के कोयंबटूर में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है.
मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि शंभू, खनौरी और रत्नपुरा मोर्चों पर चले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों के नोटिस किसानों को भेजे जा रहे हैं. यदि हरियाणा सरकार उन मुकदमों को वापस नहीं लेती है तो 6 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) की बैंगलोर में आयोजित राष्ट्रीय बैठक में बड़ा कार्यक्रम घोषित किया जाएगा. किसान नेताओं ने बताया कि 7 जुलाई को बैंगलोर में MSP के मुद्दे पर प्रदेश स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के सभी वरिष्ठ नेता भाग लेंगे.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि समाज के सहयोग से आंदोलन चलते हैं इसलिए हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि खर्च का सारा लेखा-जोखा पारदर्शी ढंग से हम जनता के सामने रखें. उन्होंने कहा कि यदि खर्च के लेखा-जोखा के विषय में किसी भी सामाजिक व्यक्ति या पत्रकार का कोई सवाल होगा तो उसका भी स्वागत है. उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान खनौरी मोर्चे की स्टेज पर 13 फरवरी 2024 से 19 मार्च 2025 तक जनता से 34,32,567 रुपये का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ. इसी समय के दौरान खनौरी मोर्चे पर 37,65,539 रुपये का खर्च आया. इसके अतिरिक्त किसान नेताओं ने बताया कि 21 फरवरी 2024 को पुलिस ने किसानों के ट्रैक्टरों व गाड़ियों में तोड़फोड़ की थी जिनकी मरम्मत करवाने में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने 8,98,654 रुपये खर्च किए.
ट्रैक्टरों और गाड़ियों की मरम्मत के लिए समाज से 5,50,000 रुपये का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ. उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों के बाद जब मोर्चे पर दूध की सेवा कम हो गई तो संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने मीटिंग कर के सभी संगठनों की ड्यूटी लगाई कि वे दूध इकट्ठा कर के लेकर आएं. जब कई बार जरूरत से कम दूध आता था तो डेयरी से दूध मंगवाया जाता था ताकि सभी किसानों को रोजाना न्यूनतम दूध मिल सके. 401 दिनों तक चले आंदोलन के दौरान कुल मिलाकर 12,280 लीटर दूध डेयरी से मंगवाया गया जिसमें 6,14,000 रुपये का खर्च आया.
डल्लेवाल ने बताया कि लंगर-सेवा के लिए 4,39,097 रुपये का सहयोग आया जिसमें से 1,85,244 रुपये का राशन लाया गया और 2,53,853 रुपये बाकी बचे. इस तरह मोर्चे की तमाम व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए आंदोलन के दौरान समाज से मिले आर्थिक सहयोग के अलावा 4,27,772 रुपये संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) से जुड़े संगठनों ने अलग से खर्च किए. उन्होंने कहा कि आंदोलन के शुरुआती दिनों में खनौरी मोर्चे पर समाज का आर्थिक सहयोग कम था और दिन-प्रतिदिन के खर्च ज्यादा थे, इसलिए सभी संगठनों की ड्यूटी लगाई गई थी कि वे संगठन की तरफ से आर्थिक सहयोग करें जिससे दिन-प्रतिदिन के खर्च वहन किए जा सकें.
इसके तहत संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के सभी संगठनों ने 9, 46,000 रुपये इकट्ठे किए जिसमें से 8,39,526 रुपये विभिन्न कार्यों में खर्च हुए. किसान नेताओं ने बताया कि MSP गारंटी कानून की लड़ाई अभी अधूरी है, इस लड़ाई को जीत तक पहुंचाने के लिए संयुक्त किसान मोर्च (गैर-राजनीतिक) लगातार संघर्ष करता रहेगा और इसी कड़ी में 5 जुलाई को MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर तमिलनाडु के कोयंबटूर में विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है.