हरियाली, सेहत और जैव विविधता…इन तीनों लक्ष्यों को साधने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एक बार फिर से एक बड़े पौधरोपण अभियान की तैयारी में जुट गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में एक जुलाई से शुरू हो रहे इस वन महोत्सव अभियान में 35 करोड़ पौधे रोपे जाएंगे. खास बात यह है कि इस अभियान में इस बार भी सहजन (ड्रमस्टिक) को प्रमुखता दी जा रही है, जिसे पोषण का पावर हाउस और दैवीय चमत्कार कहा जाता है.
सीएम योगी का स्पष्ट निर्देश है कि सहजन को सिर्फ हरियाली के लिए नहीं, लोगों की सेहत सुधारने के लिए भी लगाया जाए. प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों और आंगनबाड़ी केंद्रों में इसे वितरित करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं. साथ ही आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
साल 2024 के अभियान में 55 लाख से अधिक सहजन के पौधे लगाए गए थे. इस वर्ष भी इतनी ही संख्या में सहजन लगाने की तैयारी है. वाराणसी में तो स्वास्थ्य विभाग ने मिसाल कायम करते हुए सामुदायिक, प्राथमिक और हेल्थ सब-सेंटर्स पर सहजन के पौधे लगाने की पहल शुरू कर दी है.
सहजन की पत्तियों और फलियों में 300 से ज्यादा रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। इसमें
• 92 तरह के विटामिन्स,
• 46 एंटी ऑक्सीडेंट,
• 36 दर्द निवारक तत्व,
• 18 एमिनो एसिड होते हैं.
• विटामिन सी की मात्रा संतरे से 7 गुना, कैल्शियम दूध से 4 गुना, और प्रोटीन दही से 3 गुना पाई जाती है. यही वजह है कि इसे दक्षिण भारत में आहार का अहम हिस्सा माना जाता है.
सहजन की पत्तियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाए तो दूध उत्पादन में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई तक वृद्धि देखी गई है. वहीं इसकी पत्तियों का रस फसल पर छिड़कने से उपज में भी भारी इजाफा होता है.
सीएम योगी का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, यह जन आंदोलन बनना चाहिए... उनका लक्ष्य है कि 2030 तक प्रदेश का हरित आवरण 20% तक पहुंचाया जाए और इसके लिए वृक्षारोपण को सामाजिक आंदोलन का रूप देना बेहद जरूरी है. कुल मिलाकर देखा जाए तो सहजन के सहारे योगी सरकार सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि पोषण, स्वास्थ्य, कृषि और पशुपालन... हर स्तर पर प्रदेश को नई दिशा देने की कोशिश कर रही है. इस पहल से एक साथ कई मोर्चों पर सफलता की उम्मीद की जा रही है.
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