भारतीय सेब उत्पादक संघ (AFFI) ने सोमवार को ऐलान किया है कि वह सेब उत्पादकों की मांगों को लेकर केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से 9 जुलाई को बुलाई गई राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में शामिल होगा. AFFI के संयोजक मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि सेब पर आयात शुल्क बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की सेब उत्पादकों की मांग मानी नहीं की गई है. AFFI और हिमाचल उत्पादक संघ के आम सदन को संबोधित करते हुए मोहम्मद युसुफ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में अमेरिकी सेब के आयात की राह आसान बनाने के लिए आयात शुल्क कम कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री वादे करने में तेज हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने में धीमे हैं और संघ ने सेब पर आयात शुल्क कम करने के खिलाफ निर्णायक आंदोलन शुरू करने की रूपरेखा तैयार कर ली है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सदस्य यूसुफ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड प्रमुख सेब उत्पादक राज्य हैं और इन राज्यों के लाखों लोगों की आजीविका सेब की खेती पर निर्भर करती है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का आश्वासन लागू नहीं किया गया है.
यूसुफ ने कहा कि उर्वरकों, कीटनाशकों और कवकनाशकों की कीमतें बढ़ गई हैं, लेकिन कोई सब्सिडी नहीं दी जा रही है और यहां तक कि कश्मीर में सेब के लिए बीमा योजना भी लागू नहीं की गई है. बैठक में तीन राज्यों के सेब उत्पादकों ने भाग लिया और अपनी चिंताओं को उठाया. सेब पर आयात शुल्क को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना हिमाचल के सेब उत्पादकों की लंबे समय से लंबित मांग है और हर चुनाव में एक राजनीतिक मुद्दा भी है.
मालूम हो कि किसान पिछले कुछ महीनों से लगातार सेब का आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि वर्तमान में भारत में कई देशों से कम शुल्क पर सेब का आयात हो रहा है, जिससे घरेलू सेब उत्पादक किसानों को बेहतर कीमत नहीं मिल रही है. हाल ही में भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच देश में तुर्किये से आने वाली वस्तुओं का बहिष्कार किया गया.
इसमें व्यापारी संगठनों ने तुर्किये से सस्ते में आने वाले सेबों का बहिष्कार किया तो लोगों ने भी इस पहल को सराहा. इस घटनाक्रम के बीच हिमाचल में सेब उत्पादक संगठनों ने वहां के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने आयात शुल्क बढ़ाने की मांग रखी थी. वहीं, इसके बाद हिमाचल सरकार ने भी केंद्र के सामने इस मुद्दे को उठाया था. (एजेंसी इनपुट के साथ)