भारत में प्याज की गिरती कीमतों से परेशान किसानों ने केंद्र सरकार का ध्यान खींचने के लिए राजधानी दिल्ली में अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन किया. पुणे जिले के शिरुर तालुका के चार किसानों- सागर फराटे, विजय सालुंके, परशुराम मचाले और नवनाथ फराटे ने प्याज की माला पहनकर और अर्धनग्न होकर कृषि मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया. किसानों ने कहा कि उत्पादन लागत तक नहीं निकल पा रही है और सरकार द्वारा कोई ठोस राहत नीति नहीं बनाई गई है.
इन किसानों ने प्याज की गिरती कीमतों, निर्यात नीति और उचित मुआवजे की मांग को लेकर केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की. किसानों ने इस सिलसिले में कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव पी. अन्बलगन को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार प्याज किसानों के लिए राहत योजना बनाए और निर्यात पर लगी पाबंदियों को हटाया जाए, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके.
प्रदर्शनकारी किसान 22 अक्टूबर की सुबह 11 बजे अर्धनग्न अवस्था में गले में प्याज की माला और कंधों पर प्याज की बोरी लटकाए कृषि मंत्रालय पहुंचे. हालांकि कृषि मंत्री मौजूद नहीं थे, लेकिन संयुक्त सचिव अन्बलगन पी. ने किसानों से मुलाकात की और कहा कि केंद्र सरकार प्याज किसानों की समस्याओं पर विचार कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से इस विषय पर अभी कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है, लेकिन जैसे ही प्रस्ताव आएगा, उस पर उचित कार्रवाई की जाएगी.
इस दौरान जब किसान ज्ञापन सौंपने वाणिज्य मंत्रालय जा रहे थे तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें संसद भवन क्षेत्र में रोककर कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन में नजरबंद कर लिया. बाद में पुलिस किसान सागर फराटे को प्रधानमंत्री कार्यालय लेकर गई, जहां ज्ञापन सौंपने के बाद सभी किसानों को प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी होने पर रिहा कर दिया गया.
वहीं, इस घटना को लेकर स्वतंत्र भारत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल घनवट ने किसानों के कदम की सराहना की और आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने का ऐलान किया. घनवट ने कहा कि प्याज किसानों को बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर ठोस नीति बनानी चाहिए.
उन्होंने आश्वासन दिया कि वे महाराष्ट्र के कृषि मंत्री दत्तात्रय भरणे से संपर्क कर यह सुनिश्चित करेंगे कि राज्य सरकार शीघ्र ही केंद्र को आवश्यक प्रस्ताव भेजे. घनवट ने कहा, “प्याज किसान आज लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. अगर सरकार ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया तो किसानों की आर्थिक स्थिति और बदतर हो जाएगी.”