देश के छह राज्यों से आए किसान नेता शुक्रवार को दिल्ली में इकट्ठा हुए. इन नेताओं ने किसान मजदूर मोर्चा की बैठक में सरकार की कृषि नीतियों पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी से लेकर भूमि अधिग्रहण, बिजली निजीकरण और फसल बीमा तक के मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों की चुप्पी पर सवाल उठाए. बैठक में किसानों के अगले आंदोलन की रणनीति भी तय की गई. इस मीटिंग में खेती-किसानी से जुड़े कई और गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कई सालों से चल रही है, लेकिन न केंद्र सरकार और न ही किसी प्रमुख राजनीतिक दल ने इसे गंभीरता से लिया है. इंडिया गठबंधन ने किसान आंदोलन पार्ट-2 के दौरान इस पर प्राइवेट बिल लाने की बात की थी, लेकिन अब इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि देशभर में किसान कर्ज के बोझ से आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन उनकी कर्ज मुक्ति पर कोई राजनीतिक चर्चा तक नहीं हो रही है. प्रधानमंत्री विदेश दौरों पर हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स के खतरों से बचाने की कोई ठोस नीति नहीं बन रही.
बैठक में यह मसला भी उठा कि सरकार खेती में इस्तेमाल होने वाली बिजली को लेकर प्राइवेट बिल लाने की तैयारी कर रही है. पहले भरोसा दिलाया गया था कि बिना किसानों की सहमति के कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाएगा लेकिन अब स्थिति बदल रही है. पंधेर ने दावा किया है कि बिजली के दाम रातों-रात बढ़ाए जा सकते हैं और कॉरपोरेट्स 16 फीसदी तक मुआवजा लेने का हक रखेंगे.
मीटिंग में भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर भी नाराजगी जताई गई. राजस्थान में बड़े पैमाने पर जमीन ली जा रही है, जबकि पंजाब में भगवंत मान सरकार 65 हजार एकड़ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में जुटी है. एक नए नोटिफिकेशन के अनुसार, अब किसान अपनी जमीन मनमर्जी से नहीं बेच पाएंगे. किसानों ने फसल बीमा योजना की भी आलोचना की. उनका कहना था कि यह योजना अब प्राइवेट कंपनियों के हवाले कर दी गई है. किसान नेताओं का कहना था कि सरकार अगर किसानों को न्याय देना चाहती है, तो इसे अपने हाथ में ले और खुद क्रियान्वयन करे.
बैठक में किसानों ने स्पष्ट किया कि वे पंजाब में 20 अगस्त को एसकेएम की तरफ से घोषित ट्रैक्टर मार्च का समर्थन करेंगे. इसके अलावा, भूमि अधिग्रहण के खिलाफ डीसी को पत्र सौंपे जाएंगे और उन गांवों में मोटर मार्च किया जाएगा, जहां किसानों को उजाड़ने की कोशिश हो रही है. जल्द ही जालंधर में ‘पंजाब बचाओ, भूमि बचाओ, गांव बचाओ’ नाम से एक बड़ी पंचायत भी आयोजित की जाएगी, जिसमें राज्य भर से किसान शामिल होंगे.
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