किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन आज 64वें दिन में प्रवेश कर गया. वे पिछले साल 26 नवंबर से किसानों की 12 मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हैं. इस बीच, केंद्र ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा को 14 फरवरी को बातचीत का न्योता दिया है. लेकिन जगजीत सिंह डल्लेवाल ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चंडीगढ़ में बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. हालांकि, उन्होंने कहा है कि वे पैनल के साथ वर्चुअली जुड़ सकते हैं. किसान नेता ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती वे अनशन जारी रखेंगे.
डल्लेवाल ने आज सुबह खनौरी बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए पंजाब के लोगों को 12 फरवरी को मोर्चे पर हो रही महापंचायत में शामिल होने का न्योता दिया. साथ ही उन्होंने कहा, ''मैं अभी उतना स्वास्थ्य नहीं हुआ हूं कि 14 फरवरी की मीटिंग में शामिल हो पाऊं. मैं 12 फरवरी को महा पंचायत में पहुंचे लोगों से बात करूंगा और उनसे पूछूंगा कि मुझे 14 फरवरी की मीटिंग में जाना चाहिए या नहीं.''
डल्लेवाल ने कहा कि पंजाब के सभी लोगों की यहां पर मौजूदगी से हमें ताकत मिलेगी. वरिष्ठ किसान नेता ने कहा कि महाराज प्रकाश आज खनौरी बॉर्डर पर मनाया जाएगा. 30 जनवरी को अखंड पाठ साहिब मनाया जाएगा, हम भगवान का शुक्रिया अदा करेंगे कि सरकार को सद्बुद्धि आई.
इस बीच, SKM में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा को उनकी पहले से तय 14 फरवरी को केंद्र सरकार से बातचीत से पहले तीसरे दौर की मीटिंग के लिए आग्रह किया है. यह मीटिंग पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बुलाई गई है. बता दें कि इससे पहले 13 जनवरी और 18 जनवरी को दो बैठकें हुई थीं, जो बेनतीजा रहीं. वहीं, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेता सुखजीत सिंह हरदो झंडे ने SKM से 12 फरवरी की एकता वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए कहा है. सुखजीत सिंह ने कहा कि 2 फरवरी को आंदोलन पूरा होने के साथ ही रैली आयाेजित की जाएगी.
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वहीं, सोमवार को डल्लेवाल ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के एकता प्रस्ताव पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि हमारी किसी किसान यूनियन से कोई दुश्मनी नहीं है. बस मत अलग हैं और मांगों की प्राथमिकता का अंतर है. डल्लेवाल ने कहा कि SKM नेताओं ने पंजाब के मोगा में किसान महापंचायत में ‘एकता प्रस्ताव’ पारित किया और बाद में खनौरी आए.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, डल्लेवाल ने कहा कि अगर उनके (SKM) नेता कुछ मतभेदों के चलते खनौरी में विरोध-प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते थे, तो वे किसानों की मांगों के समर्थन में किसी अन्य जगह पर प्रदर्शन कर सकते थे. देश के किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. अगर SKM ने हमारा साथ दिया होता तो सरकार पर किसानों की मांगों को मानने के लिए और दबाव बनता.
(कुलवीर सिंंह का इनपुट)