कांग्रेस ने महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए तत्काल राहत की मांग करते हुए पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा नीत सरकार पर "निष्क्रियता और खोखले वादे" करने का आरोप लगाया. प्रदर्शन के दौरान मांग की गई है कि सरकार को "अतिवृष्टि" घोषित करना चाहिए, प्रभावित किसानों को 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा देना चाहिए, व्यापक ऋण माफी की घोषणा करनी चाहिए, बकाया बिजली बिल माफ करना चाहिए और मृदा अपरदन से क्षतिग्रस्त कृषि भूमि के लिए अतिरिक्त मुआवजा भी देना चाहिए.
विपक्षी दल ने एक विज्ञप्ति में बताया कि सांसद कल्याण काले और अन्य के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने छत्रपति संभाजीनगर स्थित कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. चंद्रपुर की सांसद प्रतिभा धानोरकर के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने वरोरा में नागपुर-चंद्रपुर राजमार्ग जाम कर दिया. पार्टी ने बताया कि सैकड़ों किसानों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. प्रदर्शनकारियों ने चंद्रपुर में सोयाबीन उत्पादकों के लिए विशेष पैकेज और कपास किसानों के लिए 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर और सोयाबीन किसानों के लिए 2.5 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजे की भी मांग की. कांग्रेस ने कहा कि इसी तरह के विरोध प्रदर्शन अकोला, अमरावती, बुलढाणा, नागपुर, जालना, लातूर, वर्धा और रत्नागिरी जिले में भी है.
वहीं इससे पहले मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे ने भी गुरुवार को कहा था कि महाराष्ट्र सरकार को दिवाली से पहले भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में 'अतिवृष्टि' घोषित कर देना चाहिए. उन्होंने ऐसा न करने पर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी. उन्होंने यह भी कहा कि खेती को नौकरी का दर्जा दिया जाना चाहिए और सरकार को किसानों को उनके काम के लिए हर महीने भुगतान करना चाहिए. दशहरा के अवसर पर बीड जिले के नारायणगढ़ में एक रैली को संबोधित करते हुए जारंगे ने भाजपा नेता और महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे पर उनकी कथित "गुलामी का राजपत्र" टिप्पणी के लिए निशाना साधा. पंकजा ने मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए हैदराबाद राजपत्र को लागू करने के सरकार के फैसले पर यह टिप्पणी की थी.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के कई हिस्से, खासकर मराठवाड़ा क्षेत्र, जिसमें छत्रपति संभाजीनगर, धाराशिव, लातूर, नांदेड़, जालना, हिंगोली, परभणी और बीड जिले शामिल हैं, पिछले एक पखवाड़े में मूसलाधार बारिश से तबाह हो गए, जिसके परिणामस्वरूप बांधों से पानी छोड़ा गया और इन इलाकों में बाढ़ आ गई. इससे हज़ारों एकड़ में लगी फसलें बर्बाद हो गईं और किसान बदतर हालातों में चले गए. (सोर्स- PTI)
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