Bihar Election 2025: SKM ने सरकार पर साधा निशाना, NDA को वोट ना देने की कर दी अपील

Bihar Election 2025: SKM ने सरकार पर साधा निशाना, NDA को वोट ना देने की कर दी अपील

संयुक्त किसान मोर्चा एक आंकड़ा पेश किया है, जिसमें बताया गया है कि बिहार की मौजूदा NDA यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन किसानों के साथ धोखा कर रही है. इसलिए इस चुनाव में किसानों से अपील की है वो को विधानसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन को हराकर सबक सिखाएं.

NDA को वोट ना देने की अपीलNDA को वोट ना देने की अपील
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 30, 2025,
  • Updated Oct 30, 2025, 4:22 PM IST

बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस बीच सभी पार्टियां युवा, किसान और महिलाओं को अपने-अपने वादों से रिझाने में लगे हुए हैं. वहीं, पहले चरण के चुनाव में मात्र 8 दिन का समय बचा है. ऐसे में बिहार के किसानों के साथ हो रहे धोखे का हवाला देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा बिहार राज्य समन्वय समिति ने एक आंकड़ा पेश किया है, जिसमें बताया गया है कि बिहार की मौजूदा NDA यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन किसानों के साथ धोखा कर रही है. इसलिए इस चुनाव में किसानों से अपील की है वो को विधानसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन को हराकर सबक सिखाएं.

बिहार सरकार ने किसानों से छीना पैसा

संयुक्त किसान मोर्चा बिहार राज्य समन्वय समिति NDA सरकार पर आरोप लगाया है कि बिहार में धान, गेहूं और मक्का किसानों को 2024-25 में सी2 + 50 फीसदी मूल्य निर्धारण फार्मूला लागू न होने के कारण 9904.71 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इससे स्पष्ट है कि लगभग 10,000 करोड़ रुपये का उत्पादन मूल्य किसानों से छीन लिया गया है क्योंकि सरकार ने सी 2 + 50% फॉर्मूला लागू नहीं किया.

किसानों को 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का नुकसान

उन्होंने आंकड़ों में ये भी बताया कि सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं कर रही है और न्यूनतम समर्थन मूल्य को ए2+ एफ एल आधार पर तय कर रही है, C2 के आधार पर नहीं. इसके तहत बिहार का एक धान किसान औसतन 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और एक मक्का किसान औसतन 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का नुकसान उठा रहा है. वहीं, बिहार की 10 प्रमुख फसलों को देखते हुए औसतन एक किसान को 12,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का नुकसान होता है.

नीतीश कुमार ने बंद की मंडी प्रणाली

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि हर किसान को 6000 रुपये प्रति वर्ष पीएम किसान सम्मान निधि के तहत दिए जाते हैं. लेकिन अगर भाजपा के 2014 के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार, सी 2+50% के हिसाब से एमएसपी लागू किया जाए, तो सालाना किसानों को 12000 रुपये प्रति हेक्टेयर मिलना चाहिए. वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक है क्योंकि 2006 में नीतीश कुमार की सरकार द्वारा मंडी प्रणाली समाप्त कर दी गई, जिसके बाद सरकारी खरीद लगभग ठप हो गई.

बिहार के किसानों को नहीं मिलती MSP

खरीद के आंकड़े खुद बताते हैं कि किसानों को घोषित ए2+एफ एल+50% आधारित एमएसपी नहीं मिलती. पिछले 10 वर्षों में औसतन केवल 25 फीसदी धान की उपज की ही खरीद हुई है. कुछ वर्षों में यह केवल 14 फीसदी ही रही. पिछले वर्ष यह 31 फीसदी थी.  वहीं, गेहूं की खरीद औसतन 1 फीसदी से भी कम है, केवल 2021-22 में यह 7 फीसदी तक पहुंची थी.

किसानों से NDA को वोट ना देने की अपील

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों (2014 से अब तक) में किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले लगातार विश्वासघात को देखा है. 2017 में PM मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था, लेकिन वे इसमें विफल रहे, पर खेती की लागत को दुगना करने और कॉपर्पोरेट कंपनियों की संपत्ति कई गुना बढ़ने में सफल रहे. ऐसे में एसकेएम बिहार राज्य समन्वय समिति बिहार के किसानों से अपील करती है कि वे 6 और 11 नवंबर 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए गठबंधन को हराकर उनको सबक सिखाएं.

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