Ayodhya Lok Sabha Election Result: अयोध्‍या में बीजेपी को मात देने वाले नेता अवधेश प्रसाद कौन हैं 

Ayodhya Lok Sabha Election Result: अयोध्‍या में बीजेपी को मात देने वाले नेता अवधेश प्रसाद कौन हैं 

भव्य राम मंदिर निर्माण और अभूतपूर्व विकास के बावजूद फैजाबाद सीट सपा जीत गई . इस जीत के साथ ही समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद  की चर्चाएं होने लगीं. वैसे तो प्रसाद खुद को सिर्फ दलित नेता के तौर पर पहचानना पसंद नहीं करते लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी के प्रमुख दलित चेहरे के तौर पर पहचाना जाता है. 77 साल के प्रसाद नौ बार विधायक और अब पहली बार सांसद बने हैं.

अयोध्‍या फैजाबाद में बीजेपी को मात देने वाले अवधेश प्रसाद अयोध्‍या फैजाबाद में बीजेपी को मात देने वाले अवधेश प्रसाद
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jun 05, 2024,
  • Updated Jun 05, 2024, 7:54 PM IST

उत्तर प्रदेश से आए लोकसभा चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए चौंकाने वाले हैं. लेकिन उससे भी ज्‍यादा जो बात पार्टी को परेशान कर रही होगी वह है फैजाबाद में उसके उम्‍मीदवार लल्लू सिंह की हार जिसका अंतर बहुत ज्‍यादा नहीं था. इस हार ने पार्टी को सबसे बड़ा झटका दिया है. लल्‍लू सिंह को जहां 499,722 वोट मिले तो वहीं उन्‍हें हराने वाले समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद को 554289 वोट मिले. यानी हार का अंतर 54,567 रहा. 22 जनवरी को जब अयोध्‍या में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा हुई तो हर कोई मान रहा था कि बीजेपी को इसका फायदा मिलेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका.  जानिए कौन हैं अवधेश प्रताप जिन्‍होंने बीजेपी को मात दी है. 

मुलायम सिंह यादव के शिष्‍य 

भव्य राम मंदिर निर्माण और अभूतपूर्व विकास के बावजूद फैजाबाद सीट सपा जीत गई . इस जीत के साथ ही समाजवादी पार्टी के नेता अवधेश प्रसाद  की चर्चाएं होने लगीं. वैसे तो प्रसाद खुद को सिर्फ दलित नेता के तौर पर पहचानना पसंद नहीं करते लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी के प्रमुख दलित चेहरे के तौर पर पहचाना जाता है. 77 साल के प्रसाद नौ बार विधायक और अब पहली बार सांसद बने हैं. वह पासी समुदाय से आते हैं और सपा के संस्थापक सदस्यों में से हैं. सन् 1974 से वह लगातार पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के साथ रहे हैं. कुछ लोग तो उन्‍हें मुलायम सिंह यादव को शिष्‍य तक कहते हैं. 

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21 साल से राजनीति में 

लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट प्रसाद ने 21 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था.  अवधेश प्रसाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को अपना 'राजनीतिक पिता' मानते हैं. उन्‍होंने तब चौधरी चरण सिंह के नेतृत्‍व वाले भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए. सन् 1974 में अयोध्या जिले के सोहावल से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा. इमरजेंसी के दौरान प्रसाद ने आपातकाल विरोधी संघर्ष समिति के फैजाबाद जिले के सह-संयोजक के रूप में कार्य किया. उस समय उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया था. 

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पिता की मृत्‍यु के समय अमेठी में 

जिस समय वह जेल में थे उनकी मां का निधन हो गया और वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल पाने में असफल रहे. इमरजेंसी के बाद उन्होंने पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने के लिए कानून की पढ़ाई छोड़ दी. सन् 1981 में प्रसाद अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके क्योंकि वे अमेठी में लोकसभा उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती कर रहे थे. इसमें राजीव गांधी ने अपना पहला चुनाव लड़ते हुए लोकदल के शरद यादव को हराया था.  प्रसाद को चरण सिंह की ओर से सख्त निर्देश दिए गए थे कि वे मतगणना कक्ष से बाहर न निकलें.  

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1996 में लड़ा पहला चुनाव 

जनता पार्टी के टूटने के बाद अवधेश प्रसाद ने खुद को मुलायम के साथ कर लिया. सन् 1992 में सपा की शुरुआत हुई और प्रसाद को पार्टी का राष्‍ट्रीय सचिव और केंद्रीय संसदीय बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव के पद पर नियुक्‍त किया गया था. उन्‍होंने साल 1996 में पहली बार संसदीय चुनाव लड़ा था और उस समय व‍ह अकबरपुर से खड़ हुए थे. यह सीट पहले फैजाबाद में आती थी और वर्तमान समय में कानपुर देहात में है. प्रसाद को विधानसभा चुनावों में सबसे ज्‍यादा सफलता मिली थी और नौ मुकाबलों में से सिर्फ दो बार उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा था. साल 1991 में जब वे सोहावल से जनता पार्टी के उम्मीदवार थे और 2017 में, जब उन्होंने मिल्कीपुर से सपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. 


 

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