चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद केंद्र की राजनीति ने दक्षिण की पॉलिटिक्स में भी जान फूंक दी है. आंध्र प्रदेश में आए विधानसभा नतीजों के साथ ही लोकसभा में मिली सीटों ने तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के चंद्रबाबू नायडू का कद बढ़ा दिया है. नायडू एक बार फिर किंगमेकर हैं जिनकी मदद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने जा रही है. 20 साल बाद नायडू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं. वहीं इस नतीजे के साथ ही नायडू की वह भविष्यवाणी भी सच साबित हो गई है जो उन्होंने मार्च में बीजेपी के साथ गठबंधन करते हुए की थी.
मार्च में नायडू और जन सेना पार्टी (जेएसपी) की तरफ से बीजेपी के साथ एतिहासिक गठबंधन का ऐलान किया था. टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने समझौते को रजामंदी देने की जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गठबंधन आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करेगा. टीडीपी मुखिया नायडू ने इसे देश और आंध्र प्रदेश के लिए जीत की स्थिति करार दिया था. गठबंधन के साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी, बीजेपी और जेएसपी चुनावों में क्लीन स्वीप करेगी. नायडू ने तब ऐलान किया था कि उनकी पार्टी, बीजेपी और जेएसपी ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए ही इस गठबंधन को अंजाम दिया है.
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टीडीपी साल 2018 तक बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का एक हिस्सा थी. नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा देने में केंद्र की विफलता को कारण बताते हुए साल 2018 में गठबंधन तोड़ दिया था. उसे साल 2019 के चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक कदम करार दिया गया. लेकिन इस फैसले का टीडीपी पर बुरा असर पड़ा. उस समय से ही नायडू एनडीए में वापसी की कोशिश कर रहे थे. साल 1999 में भी नायडू ने लोकसभा चुनावों के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का समर्थन किया. उस समय टीडीपी ने 29 सीटें जीतीं थीं. इतनी सीटों के साथ नायडू की राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख राजनेता के रूप में प्रतिष्ठा बढ़ी. साथ ही उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार को भी सपोर्ट किया.
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साल 2019 के विधानसभा चुनावों में नायडू की टीडीपी को सिर्फ 23 सीटें ही मिली थीं. जीत के बाद नायडू को वाईएसआर कांग्रेस ने खूब खरी-खोटी सुनाई और पिछले साल तो एक मामले में उन्हें 53 दिनों के लिए जेल भी भेज दिया गया था. 4 जून को जो नतीजे आए उसने साफ कर दिया कि नायडू कभी हार नहीं मानने वाले शख्स हैं. विधानसभा चुनावों में टीडीपी ने 135 सीटें जीतीं तो पवन कल्याण की जेएसपी को 21 सीटें मिलीं जबकि बीजेपी ने भी 8 सीटों पर जीत हासिल की. इसी तरह से लोकसभा चुनावें के नतीजों की अगर बात करें तो 16 सीटें जीतकर नायडू की टीडीपी ने इतिहास रचा. वहीं बीजेपी को भी 3 सीटें हासिल हुई हैं.
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