स्थानीय तेल वे होते हैं जो आपके क्षेत्र के बीजों से पारंपरिक पद्धति (लकड़ी घानी/कोल्ड-प्रेस्ड) से निकाले जाते हैं. ऐसे तेल में औषधीय गुण बने रहते हैं और इनमें कोई हानिकारक केमिकल नहीं मिलता. इन्हें स्टील या एम्बर ग्लास बोतल में रखने से ये 4–6 महीने तक बिल्कुल सुरक्षित रहते हैं.
मूंगफली के तेल में रेसवेराट्रॉल होता है, जो शरीर से विषाक्त तत्वों को निकालने में मदद करता है. यह एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुणों से भरपूर है. दिल की सेहत के लिए यह तेल बहुत फायदेमंद माना जाता है.
नारियल का तेल 177°C स्मोक पॉइंट वाला तेल है, इसलिए पूरी, बड़ा, मिठाई या डीप फ्राई के लिए बेहद अच्छा है. इसमें लॉरिक एसिड होता है, जो हार्मोन संतुलन, वायरल समस्याओं और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.
तिल के तेल में विटामिन E और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. यह शरीर की सूजन कम करता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. आयुर्वेद में इसे गठिया, त्वचा रोग और हड्डियों की समस्या में बहुत उपयोगी माना गया है.
नाइजर तेल में लिनोलेइक एसिड और नियासिन होते हैं, जो मस्तिष्क कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं. यह मानसिक स्वास्थ्य, त्वचा और बालों के लिए भी बेहतरीन है. पारंपरिक रूप से इसे मिठाइयों, चटनी और अचार में भी खूब इस्तेमाल किया जाता है.
कुसुम का तेल पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) से भरपूर है. इसका स्वाद हल्का और स्मोक पॉइंट ज्यादा होता है, इसलिए डीप फ्राई के लिए भी अच्छा है. स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए यह दूध उत्पादन बढ़ाने में सहायक माना जाता है.