उत्तर भारत में सर्दी शुरू होने से पहले ही सरसों का साग खाने की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. हालांकि, बड़े शहरों में रहने वाले लोगों की अक्सर शिकायत रहती है कि उन्हें अच्छा सरसों नहीं मिल पाता है जिससे वह साग बनाएं.
इस परेशानी का सबसे अच्छा समाधान है कि आप खुद सरसों उगा लें. इसे घर पर गमलों में आसानी से उगाया जा सकता है. कुछ बातों का ध्यान रखकर आप ताज़ा, हरा-भरा और केमिकल-फ्री सरसों का साग घर पर ही उगा सकते हैं.
सही समय चुनें: सरसों का साग उगाने के लिए सबसे अच्छा मौसम अक्टूबर से फरवरी तक होता है. बता दें कि सरसों का साग ठंडे मौसम में तेजी से बढ़ता है. बहुत गर्मी में पत्तियां जल्दी पीली पड़ जाती हैं, इसलिए गर्मियों में इसे उगाना मुश्किल होता है.
गमला और मिट्टी तैयार करें: सरसों का साग उगाने के लिए गमले की गहराई 8–10 इंच होनी चाहिए. वहीं, चौड़ा गमला लें ताकि पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनी रहे. फिर मिट्टी की तैयारी करें. इसके लिए 60 फीसदी गार्डन मिट्टी, 20 फीसदी गोबर की खाद या कंपोस्ट और 20 फीसदी रेत मिलाएं.
बीज बोने का तरीका: गमले की सतह पर मिट्टी को समतल करें. फिर बीजों को 1 इंच गहराई पर हल्के हाथों से बोएं. बीजों के बीच 2-3 इंच की दूरी रखें. ऊपर से हल्की मिट्टी की परत डाल दें.
पानी और धूप का ध्यान रखें: रोजाना हल्की सिंचाई करें, लेकिन गमले में पानी जमा न होने दें. इसके अलावा सरसों के पौधों को 4-5 घंटे की सीधी धूप चाहिए. बहुत ठंड पड़ने पर गमले को ऐसी जगह रखें जहां हल्की धूप और हवा मिले.
खाद और देखभाल: हर 15 दिन में एक बार तरल गोबर खाद या कंपोस्ट टी डालें. वहीं, पत्तों पर कीड़े लगने पर नीम का तेल स्प्रे करें. खरपतवार (weed) निकलते ही हटा दें, वरना पौधों की ग्रोथ धीमी हो जाएगी.