पंजाब में धान की कटाई जोरों पर है. इस बीच राज्य में शनिवार को पराली जलाने की 33 घटनाएं सामने आई हैं, जो इस खरीफ सीजन में अब तक की सबसे अधिक घटनाएं हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में अब तक पराली जलाने की 241 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें से अधिकांश धान की कटाई में देरी के कारण हुई हैं. पंजाब और पड़ोसी हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर सर्दियों के महीनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र में खराब वायु गुणवत्ता के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है. ऐसे में राज्य के सभी प्रमुख शहरों और कस्बों की तुलना में मंडी गोबिंदगढ़ में वायु गुणवत्ता सबसे खराब रही.
पराली जलाने की दूसरी सबसे बड़ी घटना 14 अक्टूबर को हुई, जब 31 मामले सामने आए. नए मामलों में से 23 चुनावी क्षेत्र तरनतारन से और तीन अमृतसर में दर्ज किए गए. तरनतारन भी पराली जलाने की 88 घटनाओं के साथ शीर्ष प्रदूषणकारी जिला बन गया है, जबकि अमृतसर दूसरे स्थान पर है, जहां अब तक 80 घटनाएं हो चुकी हैं.
मंडी गोबिंदगढ़ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 231 तक पहुंच गया है, इसके बाद जालंधर (148), लुधियाना (116) और पटियाला (101) का स्थान रहा. बात करें AQI मानकों कि तो उसके अनुसार, 0-50 के बीच की वायु गुणवत्ता को 'अच्छा', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101-200 के बीच 'मध्यम', 201-300 के बीच 'खराब', 301-400 के बीच 'बेहद खराब' और 401-500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, वायु गुणवत्ता में गिरावट से फेफड़े, अस्थमा और हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है.
हालांकि, पिछले वर्षों की इसी अवधि की तुलना में राज्य में पराली जलाने के मामलों में 83 प्रतिशत की कमी आई है. 2024 और 2023 में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक क्रमशः 1,348 और 1,407 घटनाएं दर्ज की गई थीं. विशेषज्ञों का कहना है कि कटाई में देरी, मशीनों की उपलब्धता और कड़े दंडात्मक प्रावधानों सहित कई कारणों से यह गिरावट आई है. हालांकि, राज्य के अधिकारियों का कहना है कि असली चुनौती दिवाली के बाद संख्या को कम रखना होगा. इस बीच, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने 104 मामलों में कुल 5.15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और अब तक 3.65 लाख रुपये वसूले हैं.
पुलिस ने पराली जलाने से संबंधित आदेशों की अवहेलना के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत अमृतसर में 36 और तरनतारन में 49 सहित 119 एफआईआर दर्ज की हैं.
अधिकारियों ने कहा कि 15 नवंबर तक का समय "सबसे महत्वपूर्ण" होगा क्योंकि इस दौरान धान की कटाई का बड़ा हिस्सा होता है. पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों के आधार पर, पंजाब ने आठ जिलों - संगरूर, फिरोजपुर, बठिंडा, मोगा, बरनाला, मानसा, तरनतारन और फरीदकोट में 663 हॉटस्पॉट की पहचान की है. इन आठ जिलों में 2024 में दर्ज की गई 10,909 कृषि पराली जलाने की घटनाओं में से 6,815 घटनाएं हुईं, जो राज्य की कुल घटनाओं का लगभग दो-तिहाई है.
अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, राज्य सरकार ने 11,624 गांवों में 5,000 नोडल अधिकारियों, 1,500 क्लस्टर समन्वयकों और 1,200 क्षेत्रीय अधिकारियों सहित लगभग 8,000 कर्मियों वाला एक “पराली सुरक्षा बल” गठित किया है.