पाकिस्तान के पंजाब में जलाई जा रही बेतहाशा पराली, बॉर्डर के दोनों ओर आग की घटनाओं में बड़ा अंतर

पाकिस्तान के पंजाब में जलाई जा रही बेतहाशा पराली, बॉर्डर के दोनों ओर आग की घटनाओं में बड़ा अंतर

पाकिस्तान में, कसूर, ओकारा और पाकपट्टन ज़िले आग के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं. उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहने वाली हवाएं पाकिस्तान के पंजाब से धुआं और सूक्ष्म कण पदार्थ (PM Particle) भारत के दक्षिण-पूर्वी भागों में ले जा सकती हैं. पाकिस्तानी पंजाब में 8 से 15 अक्टूबर के बीच 1,161 आग की घटनाएं दर्ज हुईं.

पराली जलाने पर डीसी की सख्त कार्रवाईपराली जलाने पर डीसी की सख्त कार्रवाई
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Oct 18, 2025,
  • Updated Oct 18, 2025, 3:16 PM IST

पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है और इस वजह से उत्तरी भारत में प्रदूषण का स्तर बिगड़ सकता है. PGIMER में पर्यावरण स्वास्थ्य के प्रोफेसर रवींद्र खैवाल ने कहा कि सैटेलाइट से मिले आंकड़ों से बॉर्डर के दोनों ओर खेतों में आग लगने की घटनाओं में भारी अंतर दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि 8 से 15 अक्टूबर के बीच भारतीय पंजाब (47) और पाकिस्तानी पंजाब (1,161) के बीच आग की गिनती में भारी अंतर था. पाकिस्तान की ओर से आग लगाने की गतिविधि कहीं अधिक देखी गई.

पिछले साल सबसे खराब थी लाहौर की हवा

खैवाल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण संबंधी बीमारी पर उत्कृष्टता केंद्र में नोडल संकाय अधिकारी भी हैं. अंग्रेजी अखबार 'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट बताया गया है कि पाकिस्तान में, कसूर, ओकारा और पाकपट्टन ज़िले आग के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं. पड़ोसी देश में खेतों में आग लगने की कुल घटनाओं में से लगभग 36.3 प्रतिशत अकेले ओकारा में ही होती हैं. पिछले साल लाहौर में वायु गुणवत्ता सबसे खराब दर्ज की गई थी. उल्टा वहां के अधिकारियों ने उच्च प्रदूषण स्तर के लिए भारतीय पंजाब के किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली को जिम्मेदार ठहराया था.

पाकिस्तान के पंजाब से भारत आएगा धुआं

खैवाल ने कहा कि उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहने वाली हवाएं पाकिस्तान के पंजाब से धुआं और सूक्ष्म कण पदार्थ (PM Particle) भारत के दक्षिण-पूर्वी भागों में ले जा सकती हैं, जिससे सीमा पार वायु-गुणवत्ता संबंधी चिंताएं बढ़ सकती हैं. दिल्ली स्थित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने भी इस घटनाक्रम को स्वीकार किया. अधिकारी ने कहा कि हम पाकिस्तान की ओर सीमावर्ती इलाकों के पास खेतों में आग लगने की घटनाएं देख रहे हैं. दुर्भाग्य से, हमारी भौगोलिक सीमा के बाहर की घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है.

सैटेलाइट तस्वीरों में कैद घने धुएं के गुबार

इस बीच, वायु प्रदूषण पर नजर रख रहे 22 वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस साल भारतीय पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन समग्र वायु गुणवत्ता में आनुपातिक सुधार नहीं हुआ है. इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सीमा पार पराली जलाना ऐसे समय या ऐसी परिस्थितियों में हो रहा है जो सैटेलाइट द्वारा पता नहीं लगाई जा सकतीं. दोपहर की भूस्थिर सैटेलाइट तस्वीरों में पूर्व की ओर बढ़ते घने धुएं के गुबार को कैद किया गया है, जो व्यापक क्षेत्रीय प्रभाव की पुष्टि करता है.

खैवाल ने कहा कि वर्तमान मौसम की स्थितियां — उत्तर-पश्चिम से 6-12 किमी/घंटा की गति से चलने वाली हवाएं और शाम व रात के समय धुंध या हल्का कोहरा — हवा में प्रदूषकों के प्रसार के लिए अनुकूल हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब के मैदानों का समतल भूभाग प्रदूषकों को बिना किसी प्राकृतिक प्रतिरोध के सीमा पार स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देता है.

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