राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर रोशनी के महासंगम की साक्षी बनने जा रही है. 19 अक्टूबर को होने वाले दीपोत्सव में इस बार भव्यता और दिव्यता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा. इसी क्रम में अयोध्या में होने वाले नौवें दीपोत्सव-2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों की दीदियों ने अहम योगदान दिया है. इस वर्ष लखीमपुर खीरी की माटी से बने 25 हजार इको-फ्रेंडली दीये अयोध्या धाम की पवित्र भूमि पर रोशनी बिखेरेंगे. ये दीये खीरी की माटी और जड़ी-बूटियों की प्राकृतिक खुशबू से तैयार किए गए हैं, जो रामनगरी की फिजाओं में प्रकाश के साथ सकारात्मक सुगंध भी फैलाएंगे. इसके अलावा, प्रदेश के कई अन्य जिलों की महिलाओं ने भी दीपोत्सव-25 के लिए हजारों की संख्या में दीये भेजे हैं.
लखीमपुर खीरी की जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बताया कि अयोध्या का दीपोत्सव अब जनसहभागिता, स्वावलंबन और पर्यावरण संरक्षण का जीवंत उदाहरण बन गया है. इसी के तहत लखीमपुर की तीन स्वयं सहायता समूहों की 44 महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की नगरी को आलोकित करने के लिए 25 हजार दीये तैयार किए. उन्होंने बताया कि लखीमपुर की रौशनी से समृद्धि की दिवाली” की थीम पर अयोध्या में दीये भेजने की तैयारी जुलाई महीने से ही शुरू कर दी गई थी.
इन दीयों को बनाने में महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता था. मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप महिलाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर इस पहल को आगे बढ़ाया गया. महिलाओं को प्रति दीया 5 रुपये का भुगतान किया गया, जिससे उन्होंने कुल ₹1.25 लाख की आय अर्जित की.
वहीं खीरी के धौरहरा ब्लॉक की ज्योति प्रेरणा स्वयं सहायता समूह की सदस्य ग्राम पंचायत गुदरिया की संजू देवी ने बताया कि उन्होंने पहली बार दीपोत्सव के लिए दीये तैयार किए हैं और वह बहुत खुश हैं. उन्होंने कहा कि दीये बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से आधुनिक चाक उपलब्ध कराई गई. ग्राम पंचायत हरदी की सुंदर प्रेरणा स्वयं सहायता समूह की सदस्य बिट्टू देवी ने बताया कि उन्हें आधुनिक इलेक्ट्रिक चाक उपलब्ध कराई गई, जिससे न केवल उत्पादन में तेजी आई, बल्कि दीयों की गुणवत्ता भी बेहतर हुई.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा दीये बनाने की यह पहल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी पहल है. ग्राम पंचायत हरदी की सीता प्रेरणा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी फूलमती ने कहा कि रामनगरी के दीपोत्सव के लिए दीये तैयार करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है. इससे जहां एक ओर सांस्कृतिक परंपराएं पुनर्जीवित हुई हैं, वहीं आत्मनिर्भरता की भावना भी मजबूत हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण की यह मिसाल अब पूरे प्रदेश के लिए अनुकरणीय बन गई है.
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