केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर्नाटक ग्रामीण बैंक (केएजीबी) के कारोबारी प्रदर्शन की समीक्षा की और ग्रामीण बैंकों से नए ग्रामीण भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कृषि लोन वितरण बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने बैंक को जमीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का निर्देश दिया, जिसमें अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया. केंद्रीय वित्त मंत्री ने सभी हितधारकों को क्षेत्र में संबद्ध कृषि गतिविधियों की क्षमता का दोहन करने के लिए कदम उठाने का भी निर्देश दिया.
सीतारमण ने इस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता के दौरान ऋण वृद्धि, एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां), वित्तीय समावेशन और केएजीबी द्वारा सरकार प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन सहित प्रमुख संकेतकों का मूल्यांकन किया. बयान में कहा गया है कि केएजीबी और केनरा बैंक को एमएसएमई और संबद्ध क्षेत्रों को ऋण वितरण बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के विभागों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि बढ़ती खपत के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में नए अवसर खुले हैं, जो बैंकों के लिए अधिक वित्तपोषण क्षमता का संकेत है.
वित्त मंत्री ने ग्रामीण बैंकों से अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाने का आग्रह किया. किसान-उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की पूंजीगत आवश्यकताओं पर जोर देते हुए, सीतारमण ने कहा कि उनकी पूंजीगत आवश्यकताओं को अक्सर विकास वित्तीय संस्थानों और सरकारी विभागों द्वारा पूरा किया जाता है, लेकिन उनकी कार्यशील पूंजी की जरूरतें बैंकों द्वारा पूरी की जानी चाहिए.
निर्मला सीतारमण ने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण बैंकों को एफपीओ की सुविधा और मांग के अनुरूप उत्पादों और सेवाओं को उन्नत करना चाहिए, जिससे बैंक और एफपीओ दोनों ही पारस्परिक लाभ और सतत ग्रामीण विकास के लिए संसाधनों का लाभ उठा सकें. सीतारमण ने आगे बताया कि कई कंपनियां डेटा सेंटर सहित अपनी सेवाओं को टियर-1 से टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थानांतरित कर रही हैं, और उन्होंने ग्रामीण बैंकों से अपनी वित्तीय स्थिति को मज़बूत करने के लिए ऐसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि केएजीबी को बैंक को लाभदायक बनाने और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए व्यावसायिक संचालन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
सीतारमण ने केएजीबी और उसके प्रायोजक बैंक को पीएम-विश्वकर्मा और PMFME (प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकरण) जैसी सरकारी योजनाओं के तहत आवेदनों की जांच में सुधार के लिए पंचायत और जिला स्तरीय समितियों के साथ सहयोग करने की सलाह दी. बयान में कहा गया है कि उन्होंने केएजीबी से कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए वंचित क्षेत्रों में शाखाएं खोलने और परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार, नई प्रौद्योगिकी को अपनाने और ग्राहक सेवा वितरण को मजबूत करने के माध्यम से परिचालन दक्षता बढ़ाने का आह्वान किया.
(सोर्स- PTI)
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