
दिल्ली में साहित्य आजतक के आठवें संस्करण का आगाज हो गया है. साहित्य आजतक की शुरुआत करते हुए इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जीक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने कहा कि यह साल बीते पलों की कसक, अनिश्चितताओं और रिश्तों की गर्माहट को नई नजर से देखने का है. उन्होंने एयर इंडिया क्रैश, पहलगाम हमले और हाल ही में दिल्ली के 10/11 ब्लास्ट का जिक्र करते हुए बताया कि इन घटनाओं ने याद दिलाया है कि जिंदगी कितनी नाजुक है और हर पल कितना अनमोल है.
इसी एहसास से प्रेरित होकर इस साल की थीम रखी गई है, मोहब्बत के हर एहसास का महोत्सव, प्रेम के हर रूप का उत्सव. कली पुरी ने कहा कि जब दुनिया चुनौतियों और उथल-पुथल से भरी हो, तब साहित्य ही वह शक्ति बनता है जो इंसान को प्यार, दोस्ती और रिश्तों के जरिए तसल्ली देता है. उन्होंने कहा, अगर 2024 चुनावों का साल था, तो 2025 युद्ध, अनिश्चितता और अनहोनी का साल रहा. ऐसे में हमें सहारा मिला एक-दूसरे का. हमारा अपनापन सबसे बड़ा मरहम बना.
नमस्ते
साहित्य आजतक के आठवें (8वें) संस्करण में आपका स्वागत करते हुए, मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है.
साहित्य के इस थीम की तैयारी में, हम अपने ब्रेकिंग न्यूज़ मोड से निकलकर, बीते हुए साल पर थोड़ा रिफ़्लेक्ट करते हैं.
क्या साल रहा है ये!
कभी ख़ुशी, कभी ग़म.
जहां एयर इंडिया क्रैश में दो सौ (200) से ज़्यादा यात्रियों की मौत हो जाती है, वहीं एक यात्री आग के बीचोंबीच से सुरक्षित निकल आता है. और फिर वहीं, उन्नीस (19) छात्र, जो प्लेन में भी नहीं थे, अपने हॉस्टल में रूटीन नाश्ता कर रहे होते हैं… अपनी ज़िंदगी खो देते हैं.
एक पल पहलगाम के स्वर्ग में दिल जुड़ रहे थे, और दूसरे ही पल आतंक ने हम सबके दिल तोड़ दिए.
अभी हाल ही में, दिल्ली के 10/11 ब्लास्ट - सिर्फ एक रेड लाइट पर रुकने की क़ीमत कुछ मासूम नागरिकों ने अपनी जान देकर चुकाई.
यह सब हमें एक ही बात समझाता है
ज़िंदगी सफर है सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना.
बस यह पल, यह सांस हमारे पास है...
जब जिंदगी इतनी नाज़ुक है, तो रिश्ते उतने ही मजबूत होने चाहिए.
रिश्ते बनते हैं हमारी कहानियों से, हमारे किस्सों से
जिन्हें हमेशा ज़िंदा रखता है साहित्य.
रोज़ के संघर्ष में हम भूल जाते हैं कि जीवन कितना अनप्रेडिक्टेबल है.
ऐसे समय में साहित्य हमें याद दिलाता है कि एक सुपर पावर है जो हमें तसल्ली दे सकती है.
वह सुपर पावर है लव, प्रेम, प्यार, मोहब्बत, दोस्ती, इश्क
इसी शक्ति से प्रेरित है इस साल का कार्यक्रम
हम प्रस्तुत कर रहे हैं
मोहब्बत के हर एहसास का महोत्सव, प्रेम के हर रूप का उत्सव...
भगवान के लिए,
देश के लिए,
प्रकृति के लिए,
अपने प्यारे पेट के लिए,
जिगरी दोस्त के लिए,
हमदम के लिए,
हमदर्द के लिए,
हमसफर के लिए,
और अपने भीतर के दिव्य रूप के लिए.
इन छह (6) मंचों पर, आपको मिलेंगे दो सौ (200) से ज़्यादा कलाकार, लेखक, कवि, गायक, अभिनेता, अदाकार जो नृत्य, शब्द, गीत और अभिनय के माध्यम से इस भावना को अपने अंदाज में रचेंगे.
और दो (2) ख़ास मेहमान
एक हमारी इलेक्शन एक्सप्रेस बस!
और दूसरा आपके बीच छिपा वह कवि, जो अपनी कविताएं माइक के लाल में साझा करेगा.
इस साल हमने एक ही मंच पर अनोखा मिश्रण किया है नए राइजिंग स्टार्स के साथ ही स्थापित सुपरस्टार्स, वायरल हिट्स और साहित्य के टाइमलेस मशहूर नाम!
सब एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर.
मक़सद यह है कि यहां एक हेल्दी एक्सचेंज हो
जहां पारंपरिक कला रूपों को मिले नया वायरल पुश,
और इंस्टा स्टार्स सीखें कि सब्र और मेहनत ही किसी को टेस्ट ऑफ टाइम पास कराती है.
बिल्कुल आज तक की तरह जो इंस्टाग्राम पर भी छाया हुआ है, और जिसने पच्चीस (25) साल से अपनी न्यूज़ की लेगेसी भी संभाल रखी है.
इस साल आज तक साहित्य जागृति सम्मान का तीसरा संस्करण है.
आठ (8) सम्मान भारतीय भाषा के अनमोल रतन
और इन्हें देने के लिए मंच पर आ रहे हैं राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर हरिवंश जी
जो ख़ुद एक लेखक हैं, और हम सब के लिए प्रेरणा.
अगर 2024 चुनावों का साल था, तो 2025 युद्ध, अनिश्चितता और अनहोनी का साल रहा.
ऐसे में हमें सहारा मिला तो एक-दूसरे का.
हमारी कम्युनिटी, हमारा अपनापन सबसे बड़ा मरहम बना.
इन रिश्तों में एक खूबसूरत रिश्ता है -आपका और आज तक का.
पच्चीस (25) वर्षों से हम इस देश की कहानी को एक साथ देखते, समझते, लिखते आ रहे हैं.
साहित्य आज तक इस बंधन को और मज़बूत करता है, आपके विश्वास को सलाम करता है.
इसीलिए इस बार का कार्यक्रम बहुत प्यार से बनाया गया है.
बस आशा है कि आप इसे अपने दिल में जगह देंगे.
और तीन (3) दिन
सब कुछ छोड़कर, इन पलों को दिल में बसाएंगे,
और दिल भर के जीएँगे… अगले साहित्य आज तक तक.
शुक्रिया...