
हरियाणा के सोनीपत जिले में हवा की क्वालिटी लगातार खतरनाक स्तर पर बनी हुई है, इसके बावजूद किसान अपने खेतों में पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कृषि विभाग की टीम लगातार गांवों में जाकर किसानों को जागरूक कर रही है, लेकिन कई स्थानों पर किसान नियमों का पालन नहीं कर रहे.
इसके अलावा, हरियाणा के और भी कई इलाके हैं जहां पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. इसे देखते हुए प्रशासन ने सख्ती दिखाई है और किसानों को जागरूक करने के साथ कार्रवाई की भी चेतावनी दी है.
गोहाना में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने पराली जलाने के मामलों में सख्त कदम उठाते हुए 9 किसानों पर FIR दर्ज करवाई है. विभाग ने इन किसानों पर प्रति एकड़ जुर्माना लगाने के साथ उनकी दो फसलों को MSP पर बेचने पर रोक भी लगा दी है.
गोहाना कृषि विभाग के SDO राजेंद्र कुमार ने बताया कि धान की कटाई के बाद किसान गेहूं की बिजाई शुरू कर देते हैं, और इस बार क्षेत्र में लगभग 50% गेहूं की बिजाई पूरी हो चुकी है. सेटेलाइट से 45 लोकेशन चिन्हित हुईं, लेकिन मौके पर 9 ही मामले वेरिफाई मिले.
उन्होंने कहा कि सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, हालांकि पिछले साल की तुलना में इस बार नगर और गांवों में मामलों में कमी देखी गई है. गांवों में जागरुकता अभियान चलाने से किसानों ने पराली प्रबंधन पर अधिक ध्यान दिया है.
सरकार गांव-गांव जाकर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित कर रही है. पराली प्रबंधन अपनाने वालों को प्रति एकड़ 1200 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. साथ ही पराली प्रबंधन के लिए सुपर सीडर, बेलर जैसी मशीनें भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं.
रोहतक जिले में भी पराली जलाने पर कार्रवाई जारी है. जिला कृषि अधिकारी सुरेंद्र मलिक ने बताया कि जिले में अब तक 37 पराली जलाने के केस सेटेलाइट से चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से मौके पर 5 किसानों को पराली जलाते पाया गया. इन सभी पर FIR दर्ज करवाई गई है और रेड एंट्री के साथ जुर्माना लगाया गया है.
हरसेक क्षेत्र में 5 मामले और नान-हरसेक में 4 मामले सामने आए, जिन पर सरकारी निर्देशों के तहत जुर्माना और MSP पर दो फसलों की रोक लगाई गई है. जिले में धान की 95% कटाई और 99% गेहूं की जुताई पूरी हो चुकी है.
अधिकारियों का कहना है कि इस बार पिछले साल के मुकाबले स्थिति बेहतर है, लेकिन सरकार का लक्ष्य अगले साल पराली जलाने के मामलों को पूरी तरह समाप्त करना है. विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाकर सरकारी सब्सिडी हासिल करें और पराली प्रबंधन तकनीक का उपयोग करें.