बंपर उत्पादन के लिए इस विधि से धान की बुवाई करने की सलाह दे रहे एक्सपर्ट, पैसा, समय और पानी की होगी बचत

बंपर उत्पादन के लिए इस विधि से धान की बुवाई करने की सलाह दे रहे एक्सपर्ट, पैसा, समय और पानी की होगी बचत

किसानों को धान की खेती सीधी बुवाई विधि (डीएसआर) से करनी चाहिए. क्योंकि इन दिनों खेती करने के लिए मजदूरों के साथ-साथ पानी की भी बहुत जरूरत होती है. ट्रैक्टर या अन्य मशीनरी में डीजल की भी बड़ी खपत होती है और हमारा वातावरण भी प्रभावित हो सकता है.

डीएसआर विधि से करें धान की खेतीडीएसआर विधि से करें धान की खेती
सिद्धार्थ गुप्ता
  • Banda ,
  • Jun 18, 2024,
  • Updated Jun 18, 2024, 9:41 AM IST

मॉनसून की शुरुआत होने वाली है, इसी के साथ खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाएगी. धान खरीफ की मुख्य फसल है. इसलिए इसकी खेती पर खास ध्यान दिया जाता है. ताकि किसान बेहतर उत्पादन हासिल कर सकें. इसे लेकर यूपी के बांदा में कृषि विभाग ने किसानों को एक नई तकनीकी से फसल की बुवाई करने की अपील की है. कृषि अधिकारी का कहना है कि इस विधि से बुवाई करने पर कम ख़र्च, कम पानी मे अच्छी पैदावार की जा सकती है. इसलिए किसानों से इस विधि का उपयोग करने के लिए कहा गया है. क्योंकि इस तकनीक से खेती करने पर फसल जल्दी पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसका फायदा यह होता है कि अगली फसल की बुवाई किसान समय पर कर सकते हैं. इस तकनीक को सीधी बुवाई तकनीक (DSR) कहा जाता है. 

बांदा के जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर प्रमोद कुमार ने बताया है कि इन दिनों खरीफ की बुवाई का समय चल रहा है. इसलिए उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में किसान धान की खेती सीधी बुवाई विधि (डीएसआर) से करनी चाहिए. इन दिनों खेती करने के लिए मजदूरों के साथ-साथ पानी की भी बहुत जरूरत होती है. ट्रैक्टर या अन्य मशीनरी में डीजल की भी बड़ी खपत होती है और हमारा वातावरण भी प्रभावित हो सकता है. तो ऐसे में DSR विधि को अपनाए जिसमें कम खर्च में ज्यादा फायदा और कम पानी में ज्यादा उपज हासिल कर सकते हैं.

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क्या है डीएसआर विधि 

DSR का फूल फॉर्म डायरेक्ट सिडेड राइस है. यानी धान की सीधी बुवाई विधि. इस विधि में किसान सीड ड्रील से सीधी बुवाई करते हैं.  परंपरागत विधि में पहले बेड में बुवाई की जाती है. फिर 25 दिन बाद नर्सरी तैयार होने के बाद मजदूर धान के पौधे को उखाड़कर दोबारा खेतों में लगाते हैं. पर डीएसआर विधि में सीधे बुवाई कर फसल उगाते हैं. परंपरागत विधि में इस विधि की अपेक्षा दो गुना खर्च होता है. क्योंकि उसमें पहले खेतो में धान की फसल लगाने के लिए खेत को बराबर करना होता है. इसके बाद लगातार पानी डालना और पलेवा करना होता है. इसके बाद धान की रोपाई की जाती है. पर डीएसआर विधि में केवल नमी यानी पानी की कम मात्रा में भी फसल का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं.

कम अवधि वाले बीज का करें चयन

इस विधि में सबसे पहले हम बीज की व्यवस्था करते हैं. बीज का चयन भी ऐसा करना चाहिए जिसमें बुवाई के बाद धान 100-110 दिनों की अवधि में तैयार हो जाए. इसमें प्रति हेक्टेयर 40 से 50 किलोग्राम धान लगता है. सीड ड्रील के माध्यम से जून के आखिरी सप्ताह और जुलाई के पहले सप्ताह तक हम इसकी सीधी बुवाई कर सकते हैं. इस विधि में ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि धान की बुवाई 25 सेंमी की दूरी पर एक लाइन में करें. इसलिए इस विधि का उपयोग करके कम पानी में अच्छी फसल पैदावार हासिल कर सकते हैं. 

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किसानों को क्या होगा फायदा

  • श्रम यानी मेहनत की बचत होती है. 
  • फसल बुवाई कम समय में की जा सकती है. 
  • फसल 7 से 10 दिन पहले पक जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई समय से की जा सकती है.
  • जल की खपत कम होती हैं, जिससे पानी की बचत होती है. 
  • जुताई-बुवाई का खर्च कम आता है जिससे ईंधन की भी बचत होती है.
  • पंक्ति में बुवाई करने से यांत्रिक विधि से खरपतवार नियंत्रण करने में सुविधा होती है.
  • बीमारी होनेपर पौधों का उपचार भी आसानी से किया जा सकता है. 
  • धान की फसल से निकलने वाली मीथेन गैस जो ज्यादा निकलती है, वातावरण के लिए फायदा होता है. 


 

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