पंजाब के लुधियाना जिले में आज यानी 7 अगस्त को किसान महापंचायत का आयोजन किया गया, ये आयोजन जोधां गांव के अनाज मंडी में संयुक्त किसान मौर्चा (गैर-राजनीतिक) के आह्वान पर जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में ये आयोजन किया गया, जिसमें हजारों किसानों ने भाग लिया. इस महापंचायत में पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी के खिलाफ प्रदेश स्तरीय आंदोलन का बिगुल बजाया गया. साथ ही 25 अगस्त को नई दिल्ली में 1 दिन की किसान महापंचायत में किसानों से बड़ी संख्या में शामिल होने का आह्वान किया गया.
किसान नेताओं ने कहा कि किसानों पर चौतरफा हमले किए जा रहे हैं, एक तरफ लैंड पुलिंग जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों की जमीनों पर कब्ज़ा करने की साजिशें रची जा रही हैं, तो दूसरी तरफ अमेरिका जैसे देश भारत पर दबाव बना कर भारत की खेती, डेयरी, पोल्ट्री और मछली पालन सेक्टरों में प्रवेश करना चाहते हैं. किसान नेताओं ने कहा कि आज देश के किसानों को एकजुट होकर खेती क्षेत्र पर हो रहे चौतरफा हमलों का मुकाबला करना चाहिए.
देश के किसानों को संगठित करने के लिए 25 अगस्त को दिल्ली में आयोजित किसान महापंचायत की तैयारियों के लिए आगामी 10 अगस्त को पानीपत के इसराना में, 11 और 12 अगस्त को राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में, 14 और 15 अगस्त को मध्यप्रदेश के इटारसी और अशोकनगर में, 17, 18 और 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, संभल और बागपत में किसान महापंचायतों का आयोजन किया जा रहा है.
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि 25 अगस्त को हम दिल्ली में एक दिवसीय बड़ा धरना देने जा रहे हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार हो या पंजाब सरकार, उन्हें कड़ा संदेश दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान किसी भी कीमत पर सरकार को एक इंच भी ज़मीन नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि अगर जमीन के पीछे वाला भाई अपने भाई को मार देगा, तो किसान सरकार को ज़मीन कैसे देगा, यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है. उन्होंने कहा कि सिर्फ जमीन का मसला नहीं है, हमारे किसानों के और भी कई मसले हैं जो लंबे समय से लंबित हैं, जिनका सरकार ने समाधान नहीं किया है, इसलिए हम बड़े-बड़े जमावड़े कर रहे हैं.
इस बीच जब उनसे पूछा गया कि यह मसला हाईकोर्ट में भी चल रहा है, तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को फैसला देना है. वहीं, उन्होंने कहा कि सरकार के अपने लोग सुप्रीम कोर्ट में जाकर अर्जी लगाते हैं कि उन्हें मेरे स्वास्थ्य की चिंता है. उन्होंने कहा कि जब मैं बीमार था तो किसी ने मेरा हालचाल नहीं जाना, फिर अचानक उन्हें मेरे स्वास्थ्य की चिंता हो गई. उन्होंने कहा कि यह भी सरकार की गंदी चाल है. वहीं, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि जैसे दिल्ली में मोर्चा निकाला गया, जरूरत पड़ी तो यहां भी मोर्चा निकालेंगे, लेकिन सरकार को मनमानी नहीं करने देंगे. उन्होंने कहा कि हम सरकार को किसानों की जमीनों पर कब्जा नहीं करने देंगे.
किसान महापंचायत में मुख्य तौर पर जगजीत सिंह डल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, सतनाम सिंह बेहरु, पी आर पाण्डयन (तमिलनाडु), वेंकेटेश्वर राव (तेलंगाना), राजबीर सिंह (उत्तर प्रदेश), अनिल तालान (उत्तर प्रदेश), इंदरजीत पन्नीवाला (राजस्थान), जरनैल सिंह चहल (हरियाणा), गुरदास सिंह (हरियाणा), अभिमन्यु कोहाड़ (हरियाणा), हरसुलिन्दर सिंह (पंजाब), सुखपाल डफर (पंजाब), अमरजीत राडा (पंजाब), हरिकेश क़ाबरचा (हरियाणा) आदि ने भाग लिया.