पंजाब के इस गांव में धान रोपाई करने पर मिलेगा 500 रुपये प्रति एकड़ का इनाम, जानें वजह

पंजाब के इस गांव में धान रोपाई करने पर मिलेगा 500 रुपये प्रति एकड़ का इनाम, जानें वजह

बल्लोह गांव के लोगों ने बताया कि इस फैसले से भूजल का दोहन कुछ हद तक कम होगा. 25 जून के बाद मौसम में थोड़ा बदलाव होगा और बरसात भी शुरू हो जाएगी. इसके चलते फसलों को भी लाभ मिलेगा. गांव के लोगों की माने तो यह फैसला लोगों को जागरूक करने के लिए लिया गया है.

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पंजाब के इस गांव में धान रोपाई करने पर मिलेगा 500 रुपये प्रति एकड़ का इनाम, जानें वजहपंजाब में धान की रोपाई पर 500 रुपये का इनाम. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब के बठिंडा जिले के बल्लोह गांव की सोसाइटी ने धान की रोपाई करने को लेकर एक अनोखा फैसला किया है. इस गांव की सोसाइटी 25 जून के बाद धान की रोपाई करने वाले किसानों को इनाम देगा. खास बात यह है कि किसानों को इनाम 500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाएगा. यानी जो किसान जितने अधिक रकबे में 25 जून के बाद धान की बुवाई करेगा, उन्हें इनाम के रूप में उतनी ही अधिक रमक मिलेगी.

दरअसल, पंजाब सरकार ने राज्य के 6 जिलों में 11 जून से धान की रोपाई का एलान किया है, लेकिन बठिंडा के गांव बल्लोह की स्वर्गीय गुरबचन सिंह सेवा सोसाइटी ने फैसला किया है कि जो किसान 25 जून के बाद धान की रोपाई करेगा, उन्हें 500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से इनाम मिलेगा. इससे पहले भी बल्लोह गांव की इस सोसाइटी की ओर से पराली में आग नहीं लगाने वाले किसानों को 500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से देने का फैसला लिया गया था.

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11 जून से हो रही धान की रोपाई

बल्लोह गांव के लोगों ने बताया कि इस फैसले से भूजल का दोहन कुछ हद तक कम होगा. 25 जून के बाद मौसम में थोड़ा बदलाव होगा और बरसात भी शुरू हो जाएगी. इसके चलते फसलों को भी लाभ मिलेगा. गांव के लोगों की माने तो यह फैसला लोगों को जागरूक करने के लिए लिया गया है. जबकि सरकार ने तो 11 जून से ही धान की रोपाई करने का ऐलान किया था. इस फैसले से उनके गांव के सभी किसान उनके साथ हैं. 

भूजल स्तर में तेजी से गिरावट

बता दें पंजाब में तेजी से भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है. बीते दिनों कहा जा रहा है कि प्रदेश में भूजल स्तर के दोहन को कम करने के लिए कृषि विभाग वसंतकालीन मक्के की खेती पर रोक लगा सकती है. इसके लिए उसने वसंतकालीन मक्के की खेती पर कड़े प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई है. खास बात यह है कि कृषि विभाग ने यह कदम उन रिपोर्टों के बाद उठाया गया है, जिनमें वसंत और गर्मियों में मक्का की खेती के बढ़ते चलन के कारण भूजल स्तर में खतरनाक गिरावट को जिम्मेदार ठहराया गया है.

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ग्रीष्मकालीन मक्के की खेती पर चिंता जताई

कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने मार्च और अप्रैल के दौरान शुरू होने वाली ग्रीष्मकालीन मक्के की खेती के तेजी से विस्तार और भूजल भंडार पर इसके प्रभाव पर अपनी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि हमने इस गंभीर मुद्दे को सरकार के सामने उठाया है. इस मामले को संबोधित करने के लिए जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाएगी. हमने मौजूदा फसल पैटर्न के प्रभाव को उजागर करने के लिए पीएयू, लुधियाना और विभाग से विस्तृत डेटा मांगा है. हमने मक्का की बुवाई के समय को आगे बढ़ाने और विनियमित करने सहित कड़े कदम उठाने का प्रस्ताव दिया था. (कुणाल बंसल की रिपोर्ट)

 

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