आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत: शिवराज सिंह

आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत: शिवराज सिंह

शिवराज सिंह चौहान ने स्वामीनाथन के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि 1942-43 में बंगाल के अकाल के कारण जब लाखों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे, तब स्वामीनाथन का हृदय व्यथित हो गया था.

प्राकृतिक कृषि मिशनप्राकृतिक कृषि मिशन
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 07, 2025,
  • Updated Aug 07, 2025, 6:41 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी  7 अगस्त को, नई दिल्ली में भारत रत्न डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की. इस अवसर पर शिवराज सिंह चौहान ने जीवन की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दूसरों के लिए जीना ही असली जीवन है, जो देश के लिए जीता है, समाज के लिए जीता है, औरों के लिए जीता है, दुनिया के लिए जीता है, वही सही अर्थों में जीवन का अर्थ सिद्ध कर पाता है. डॉ. स्वामीनाथन ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने अपना जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर दिया. स्वामीनाथन के बताए रास्ते पर चलते हुए हम देश और दुनिया में भूख और अभाव नहीं होने देंगे.  

हरित क्रांति के जनक थे स्वामीनाथन

शिवराज सिंह चौहान ने स्वामीनाथन के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि 1942-43 में बंगाल के अकाल के कारण जब लाखों लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए थे, तब स्वामीनाथन का हृदय व्यथित हो गया था. उन्होंने अपने आप को भुखमरी मिटाने के लिए खेती-किसानी में समर्पित कर दिया. चौहान ने कहा कि केवल इतना स्मरण दिलाना चाहता हूं कि 1966 में मैक्सिको से अठारह हजार टन मैक्सिकन गेहूं आया था, जिसे मिश्रित करके पंजाब की किस्मों के साथ एक नई  गेहूं की संकर किस्म विकसित की थी और उसी किस्म के कारण एक साल में गेहूं का उत्पादन पांच मिलियन टन से बढ़कर सत्रह बिलियन टन हो गया था. स्वामीनाथन हरित क्रांति के जनक थे और उसके बाद उन्होंने जो कृषि विज्ञान के लिए  व्यवस्था बनाई वह आज सुदृढ़ता से सही दिशा में काम कर रही है.  

PM मोदी का हर शब्द मंत्र जैसा

कृषि मंत्री ने कृषि विकास और किसान कल्याण की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का हर शब्द हमारे लिए मंत्र जैसा होता है. एक साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी इस पूसा परिसर में पधारे थे, तब उन्होंने हमें कहा था. लैब टू लैंड जोड़ो, विज्ञान और किसान जब तक नहीं मिलेंगे, तब तक खेती सही दिशा में आगे नहीं बढ़ेगी. प्रधानमंत्री की प्रेरणा से आज लैब टू लैंड जोड़ने सहित अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं. उसमें से एक कृषि चौपाल और दूसरा विकसित कृषि संकल्प अभियान भी है. चौहान ने बताया कि विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत वैज्ञानिकों की 2170 टीमों का गठन किया गया था. ये टीमें चौसठ हज़ार से ज्यादा गांवों में गईं और एक करोड़ से ज्यादा किसानों के साथ सीधा संवाद किया.

खाद्यान्न स्थिति में बेहतर हुई भारत

शिवराज सिंह ने खाद्यान्न वृद्धि का जिक्र करते हुए बताया कि देश में खाद्यान्न की स्थिति बहुत म हो गई है. चावल के मामले में हम सरप्लस हैं, गेहूं में हम आत्मनिर्भर है और खाद्यान्न भंडारण की व्यवस्था की जा रही है. PM मोदी के नेतृत्व में आज 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन देने का कम हो रहा है. प्रति हेक्टेयर दलहन और तिलहन की उत्पादकता बढ़ाने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि सोयाबीन हो, मूंगफली हो, सरसों हो, तिल हो या चना मसूर, उड़द, अरहर हो, उसमें उत्पादन कैसे बढ़े, इस दिशा में भी PM मोदी के नेतृत्व में तत्परता से काम किया जा रहा है.  

प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत

कृषि मंत्री ने बताया कि PM मोदी के नेतृत्व में एक प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत की गई है. आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरती से अन्न, फल और सब्जियों की उपज होती रहें, इसके लिए इस मिशन के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ गंभीरता से काम किया जा रहा है.  

"सदाबहार क्रांति - जैव-सुख का मार्ग"

यह सम्मेलन कृषि विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी हस्ती और खाद्य सुरक्षा के अग्रदूत, प्रो. डा. एम.एस. स्वामीनाथन की जन्मशती के उपलक्ष्य में, एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के सहयोग से 7-9 अगस्त, 2025 पूसा कैंपस, नई दिल्ली में आयोजित किया गया है. सम्मेलन का थीम "सदाबहार क्रांति - जैव-सुख का मार्ग" है. 

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