अक्सर यह माना जाता है कि खेती एक जोखिम भरा व्यवसाय है. यही वजह है कि युवा खेती नहीं करके कंपनियों में रोजगार करना चाहते हैं. दरअसल, कंपनियों में मासिक या सालाना एक निश्चित आमदनी की गारंटी होती है, जबकि कृषि में कितनी आमदनी होगी या कितना नुकसान होगा. इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है. कई बार तो किसान अपनी लागत तक भी नहीं निकाल पाते हैं. वहीं कृषि में होने वाले नुकसान के कारण कई बार किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के यवतमाल जिले से आया है. दरअसल पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कार्यकर्ता ने शुक्रवार को दावा किया कि पूर्वी महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 13 से 15 अगस्त के बीच फसल खराब होने या कृषि संबंधी वित्तीय समस्याओं के कारण पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली.
वहीं एक स्थानीय अधिकारी ने घटनाओं की पुष्टि की, लेकिन कहा कि इन आत्महत्याओं के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है. वहीं, किसान कल्याण के लिए राज्य सरकार के वसंतराव नाइक शेतकारी स्वावलंबी मिशन के पूर्व अध्यक्ष और कार्यकर्ता किशोर तिवारी ने दावा किया कि इस साल अब तक विदर्भ (पूर्वी महाराष्ट्र) में 1,565 किसानों ने आत्महत्या की है.
उन्होंने आगे बताया कि यवतमाल जिले के येराड गांव निवासी 35 वर्षीय किसान मनोज राठौड़ ने 15 अगस्त को आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली. वहीं तेम्भी गांव के 51 वर्षीय आदिवासी किसान कर्ण किनाके ने 14 अगस्त को आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली. कार्यकर्ता किशोर तिवारी ने कहा कि उसी दिन उमर विहिर गांव के 42 वर्षीय किसान शालू पवार ने भी आत्महत्या कर ली. उन्होंने कहा कि इन दोनों लोगों को नुकसान हुआ था, क्योंकि उनकी फसलें को जंगली जानवरों ने नुकसान पहुंचा दिया था.
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कार्यकर्ता किशोर तिवारी ने आगे दावा किया कि 13 अगस्त को तिवरंग गांव के 45 वर्षीय किसान नामदेव वाघमारे और लोहारा गांव के 42 वर्षीय किसान रामराव राठौड़ ने वित्तीय तनाव के कारण आत्महत्या कर ली.
तिवारी ने कहा, कुछ दिनों पहले भारी कर्ज और फसल की बर्बादी के कारण अमरावती जिले के शिराला गांव में एक किसान ने आत्महत्या कर ली थी. उन्होंने आगे कहा, " इस क्षेत्र की मुख्य नकदी फसल कपास, जो बहुत कम मांग का सामना कर रही है, ने किसानों की आमदनी को ठप कर दिया है. खेती की लागत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और पीएसयू बैंकों द्वारा बहुत कम लोन मिलने की वजह से किसानों का संकट और बढ़ गया है."
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वहीं, यवतमाल में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि हाल ही में जिले में पांच किसानों ने आत्महत्या की है. उन्होंने कहा कि पुलिस और राजस्व विभाग इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इन मौतों के पीछे खेती-संबंधी संकट या पारिवारिक विवाद या कोई अन्य कारण था.