जून-जुलाई के महीने में रेगिस्तानी जिलों में हुई बंपर बारिश में इस बार जैसलमेर में फसलों की रिकॉर्ड बुवाई हुई थी. इस बार जैसलमेर में 773985 हेक्टेयर में 99.87 प्रतिषत बुवाई हुई थी लेकिन, 27 जुलाई के बाद बारिश न होने से किसानों की फसल अब जलने लगी है. जिससे किसानों की चिंता अब लगातार बढ़ती जा रही है. दूसरा सावन का महीना भी अब अपने अंतिम दौर में जा रहा है. लेकिन बारिश की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. मौसम वैज्ञानिक के अनुसार आगामी 10 दिनों तक बरसात के आसार अभी तक नजर नहीं आ रहे. अगर सचमुच ऐसा हुआ तो किसानों की फसले जल जाएगी. अब किसान इंद्रदेव को मनाने के लिए कई जतन शुरू कर दिए हैं. बारिश नहीं हुई तो बंपर पैदावार की उम्मीद भी धूमिल हो जाएगी.
जैसलमेर में कृषि विभाग के संयुक्त निदेषक राधेष्याम नारवाल ने बताया कि जून-जुलाई में मूसलाधार बारिश के बाद किसानों ने खेतों में हर साल से ज्यादा बुवाई की है. खेतों में बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार सहित अन्य किस्मों की फसलें बोई गई है. लेकिन 27 जुलाई के बाद जिले में बारिश नहीं हुई है. खेतों में खड़ी फसलों पर संकट आ गया गया है. ऐसे में अब फसलों को पानी की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि जैसलमेर में इस बार किसानों द्वारा रिकॉर्ड 99.87 प्रतिषत फसलों की बुवाई की गई थी. इस बार 775000 हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया था जिसमें 773985 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. खासतौर पर बाजरे की बुवाई का लक्ष्य 1.45 लाख हेक्टेयर में था जबकि बुवाई 146000 में हुई थी. इसी तरह ज्वार 4000 का लक्ष्य था और 4000 की बुवाई हुई थी. मूंग 50000 हेक्टेयर में था लेकिन बुवाई 51500 में हुई थी. मोठ 15000 का लक्ष्य था और 15000 में ही बुवाई हुई थी. खासतौर पर मूंगफली 40000 हेक्टेयर का लक्ष्य था जबकि 47500 में बुवाई हुई थी. इस तरह ग्वार का लक्ष्य 5 लाख हेक्टेयर में था जबकि 489500 में बुवाई हुई. तिल का लक्ष्य 6000 में था बुवाई भी 6000 में हुई थी. अरण्डी 8000 का लक्ष्य था जबकि 7990 में बुवाई हुई थी. इस तरह इस बार रिकॉर्ड बुवाई हुई थी.
वहीं दूसरी ओर अब किसानों के चेहरे उतरने लगे हैं. बरसात न होने से बोई हुई फसलों पर संकट मंडराने लगा है. तेज गर्मी के कारण व बरसात न होने से खेतो में खड़ीन फसलें मुरझाने लगी है. अब बरसात के लिये किसान कई प्रकार के उपाय कर रहे हैं.
किसान लाले खान के मुताबिक 20 दिन से बारिश न होने से खेतों में खड़ी फसल जलने लगी है. वे इंद्रदेव से प्रार्थना करते हैं कि बारिश हो ताकि फसलों को जीवन मिल सके. अगर 5-7 दिन तक बारिश नहीं हुई तो फसलें जल जाएंगी.
लाले खान के मुताबिक खेतों में खड़ी बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार सहित अन्य किस्म की फसलों पर संकट आ गया है. अब फसलों को पानी की जरूरत है. ऐसे में 20 दिनों से रूठे इंद्रदेव को मनाने के लिए किसानों ने यज्ञ करना शुरू कर दिया है. जिले के भूरटिया गांव में किसानों ने मंदिर के अंदर यज्ञ किया. आहूति देकर इंद्रदेव व भगवान से प्रार्थना की फसलों को बारिश की जरूरत है. किसानों को उम्मीद है कि यज्ञ से इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करेंगे.
जैसलमेर के एक अन्य किसान खूमा राम सियाग व सुभान खान ने बताया कि जैसलमेर मे काफी दिनों से बारिश नहीं हुई है. और इंदिरा गांधी नहरों में सिंचाई के लिये पानी नहीं मिल रहा है. इसके कारण बोई हुई मूंगफली व मूंग की फसलें जल रही है. नहरों में पानी की आवक नहीं बढ़ी तो किसान 1-2 दिन में आंदोलन की ओर अग्रसर होंगे.
कृषि वैज्ञानिक विभाग के मौसम वैज्ञानिक अतुल गालव ने बताया कि मौसम विभाग के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में कमजोर मॉनसून है. अगले कुछ दिनों तक मानसून शुष्क बना रहेगा. इन दिनों हवा दक्षिण की तरफ से चल रही है. आगामी कुछ दिनों तक बरसात की कोई संभावना नहीं है. 12-15 दिनों तक 30 से 35 कि.मी. की हवाएं चलेगी जो फसलों के हानिकारक हो सकती है.
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