Success Story : बिहार का किसान अगस्त में कर रहा धान की कटनी, जानें 60 दिन में कैसे तैयार की फसल 

Success Story : बिहार का किसान अगस्त में कर रहा धान की कटनी, जानें 60 दिन में कैसे तैयार की फसल 

आप अक्सर ऐसा नहीं सुनते होंगे कि महज डेढ़ दो महीने में धान की कटनी हो जाए. लेकिन बिहार के कैमूर के एक किसान ने गरमा धान की खेती कर महज 60 दिन में धान की कटनी की है. आज ये किसान कई लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं क्योंकि बेहद कम दिन में फसल तैयार कर ली.

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Success Story : बिहार का किसान अगस्त में कर रहा धान की कटनी, जानें 60 दिन में कैसे तैयार की फसल किसान संजय सिंह ने एक एकड़ में गरमा धान की खेती से करीब 16 क्विंटल तक अनाज का उत्पादन किया है.फोटो -किसान तक

बिहार में अगस्त के मध्य में जहां धान की रोपनी करीब-करीब पूरी हो चुकी है. वहीं कुछ किसान जायद सीजन में गरमा धान की कटनी करके दूसरी बार धान की खेती कर रहे हैं. राज्य की राजधानी पटना से करीब 230 किलोमीटर दूर कैमूर जिले के बगाढ़ी गांव के किसान संजय सिंह ने गर्मी के मौसम में धान की खेती कर मिसाल पेश की है. इन्होंने एक एकड़ एरिया में इंडिया गेट नामक धान की खेती से करीब 16 क्विंटल तक उत्पादन लिया है. इसके बाद से जिले के कई किसान उनसे गरमा सीजन में धान की खेती से जुड़ी बारीकियों को सीखने आ रहे हैं.

किसान तक से बातचीत के दौरान संजय सिंह ने कहा कि वे सुगंधित इंडिया गेट नामक धान की खेती पिछले दो साल से कर रहे हैं. लेकिन पहली बार जायद सीजन में इस धान की खेती की है. कम खर्च और कम पानी में अच्छा उत्पादन को देखते हुए अगली बार दस एकड़ में खेती करने का विचार कर रहे हैं. 

 इंडिया गेट नामक धान की खेती किए हैं संजय सिंह . फोटो -किसान तक
गरमा धान की कटनी. फोटो -किसान तक

खेती में तरक्की का नया नजरिया इन्हें यूपी के अंबेडकर नगर से मिली है. वहां से खेती का नया तरीका सीख कर गांव आने के बाद समृद्धि की एक नई परिभाषा गढ़ डाली. संजय सिंह ने अप्रैल के महीने में इंडिया गेट नामक धान का बिजड़ा डाला था. वहीं मई के आखिरी सप्ताह में धान की रोपनी की थी. किसान के अनुसार धान की रोपनी करने के 45 दिन बाद यह फसल तैयार हो गई थी. लेकिन बीते दिनों बारिश होने के चलते इसकी कटनी में करीब 15 से 20 दिन की देरी हो गई. इसके चलते अगस्त महीने में धान की कटनी की. 

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यूपी के रिश्तेदार से मिली धान लगाने की प्रेरणा 

संजय सिंह की पहचान इलाके में बड़े किसान के तौर पर है. वहीं समय की मांग को देखते हुए खेती में नए प्रयोग करते रहते हैं. वे बताते हैं कि दो साल पहले वे अंबेडकर नगर (उत्तर प्रदेश) अपने एक रिश्तेदार के पास गए थे. वहां मिट्टी जांच और पौधों के पोषक तत्वों के बारे में जानकारी हासिल करने के दौरान बीज तैयार करने का तरीका सीखा. वहीं उन्हें इंडिया गेट नामक धान के बारे में जानकारी मिली. इस किस्म की जायद और खरीफ सीजन में खेती करने बाद रबी फसल की खेती आसानी से की जा सकती है. इसके बाद वे गांव आकार  खुद इसके बीज तैयार करने में लग गए. पहली बार जायद सीजन में धान की खेती की.

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कम लागत में हुआ अधिक मुनाफा 

जायद सीजन में इंडिया गेट नामक धान की खेती करने वाले संजय सिंह कहते हैं कि इस धान की खेती में दो बार पटवन की जरूरत होती है. इसकी खेती के दौरान केवल जमीन को गीला रखना होता है. ज्यादा खेत में पानी देने की जरूरत नहीं होती है. वहीं उन्होंने  करीब एक एकड़ में इसकी खेती की थी. उत्पादन करीब प्रति एकड़ 16 क्विंटल के आसपास हुआ है. उत्पादन प्रति बीघा चार क्विंटल के आसपास है. आगे वे कहते हैं कि 16 क्विंटल धान में करीब 11 क्विंटल तक चावल जाएगा. हाल के समय में सुगंधित चावल की मांग बढ़ने के चलते इसका चावल सात हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है. वहीं कैमूर सहित बक्सर जिले के कई व्यापारी संपर्क करना शुरू कर चुके हैं. 

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