भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का गहरा संबंध है, लेकिन वर्तमान में नेपाल आंदोलन की आग में झुलस रहा है. पड़ोसी देश में इस आंदोलन में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है और वहां के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल पद से इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे हालातों में दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार पर भी अस्थायी असर पड़ने की आशंका है. भले ही नेपाल आबादी, जीडीपी और सैन्य सामर्थ्य में बहुत छोटा हो, लेकिन भारत से बड़ी मात्रा में कृषि और खाद्य उत्पादों का आयात करता है. वित्त वर्ष 2024-25 के आंकड़े इस पर मुहर लगाते हैं.
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत ने नेपाल को करीब 5,693 करोड़ रुपये मूल्य के 17 लाख मीट्रिक टन उत्पाद निर्यात किए. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा गैर-बासमती चावल का रहा, जिसकी कीमत 1,551 करोड़ रुपये और मात्रा 6.06 लाख मीट्रिक टन रही.
साथ ही पड़ोसी देश में अन्य अनाज और ताज़ी सब्ज़ियों की भी जबरदस्त मांग रही. नेपाल ने भारत से 375 हजार मीट्रिक टन अन्य अनाज 963 करोड़ रुपये में और लगभग उतनी ही मात्रा में ताजी सब्जियां 553 करोड़ रुपये में खरीदीं.
नेपाल में ताजे फलों की भी अच्छी खपत दर्ज की गई. पड़ोसी देश ने 2024-25 में 491 करोड़ रुपये के 183 हजार मीट्रिक टन फल आयात किए. साथ ही यहां बासमती चावल की भी लोकप्रियता बनी रही. भारत ने नेपाल को 491 करोड़ रुपये में 68 हजार मीट्रिक टन बासमती निर्यात किया. इसके अलावा प्रोसेस्ड आइटम और तैयार खाद्य पदार्थों की भी खासी मांग देखी गई.
सीरियल प्रिपरेशन 430 करोड़ रुपये का रहा, जबकि 195 करोड़ रुपये की दालें निर्यात की गई. वहीं, आयुष और हर्बल उत्पादों का निर्यात 140 करोड़ रुपये और कोकोआ प्रोडक्ट्स का 119 करोड़ रुपये का रहा. मूंगफली का निर्यात 106 करोड़ रुपये का रहा, जिसकी मात्रा 15,643 टन रही. प्रोसेस्ड फल और जूस, अन्य प्रोसेस्ड उत्पाद भी नेपाल को भेजे गए.
बता दें कि पड़ोसी देश के हालातों को देखते हुए भारत नेपाल बॉर्डर से सटे जिलों और इलाकों को लेकर सतर्क है. विदेश मंत्रालय ने नेपाल में रह रहे भारतीयों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए सतर्क रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने के लिए कहा है.
पड़ोसी देश नेपाल की ओली सरकार ने फेसबुक और 'X' समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया था. इसके विरोध में Gen Z सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन किया, जिससे हालात बेहद खराब हो गए. हालांकि, सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन का फैसला वापस ले लिया, लेकिन हिंसक प्रदर्शन के बीच पीएम, राष्ट्रपति और कई मंत्रियों ने पद से इस्तीफा दे दिया.