पंजाब में साल 1988 के बाद से ऐसी बाढ़ देखने को मिली है. इस भीषण त्रासदी के कारण राज्य भर में करीब 1.9 लाख हेक्टेयर की कृषि भूमि बरबाद हो गई. मगर इससे केवल खरीफ सीजन की फसलों को ही नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि पंजाब के किसानों को आगामी रबी सीजन की खेती भी संकट में ही दिख रही है. हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यही कहा कि राज्य की पूरी फसलें तबाह हो गईं, खेत अभी तक भरे हुए हैं. शिवराज ने कहा कि ये फसल तो नष्ट हो गई मगर अब अगली फसल (रबी सीजन) पर भी संकट है.
पंजाब की बाढ़ के बाद फिलहाल जो आंकड़े सामने आए हैं उसके मुताबिक, पूरे राज्य में 1.9 लाख हेक्टेयर की खेती जलमग्न हुई है. इनमें गुरदासपुर सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला है जिसके 324 गांवों की खेती डूब गई. पंजाब में गेहूं रबी सीजन की मुख्य फसल है, जिसकी राज्य में करीब 34.9 लाख हेक्टेयर में खेती होती है. अब समझने वाली बात ये है कि अब रबी सीजन आने में बहुत वक्त नहीं बचा है और पंजाब में खेत अभी भी जलमग्न हैं. जब खेतों में से पानी निकलेगा तो किसानों को खेत में जमा सिल्ट से जूझना पड़ेगा. ये सिल्ट यानी गाद ही एक तरह से किसानों के लिए सबसे बड़ी दुश्मन साबित होने वाली है. ये असल में एक तरह की महीन मिट्टी, रेत और खनिजों का मिश्रण होता है जो बाढ़ के पानी के साथ बहकर खेतों में आता है. जब बाढ़ का पानी उतरता है तो ये गाद खेतों में ही जमा रह जाती है. खेतों में से इसी सिल्ट को निकालना किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और रबी की फसल के लिए यही सबसे बड़ी मुसीबत बनने वाली है.
दरअसल, खेत में जमने के बाद सिल्ट की परत जैसे ही सूखने लगती है तो ये कड़ी और सख्त हो जाती है. इससे खेतों की बुवाई मुश्किल हो जाती है, बीज सही से जमीन के अंदर नहीं जा पाते और इनका अंकुरण नहीं हो पाता. इसके अलावा सिल्ट से मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी घटती है. होता ये है कि रेतीली सिल्ट पानी को सोख कर नहीं रख पाती और नमी जल्दी निकल जाती है. सिल्ट की ये परत खेत के ऊपर जमकर नीचे की उपजाऊ मिट्टी को ढक लेती है. बाढ़ का स्तर जितना ज्यादा होगा, खेतों में सिल्ट की परत उतनी ही मोटी जमा होती है. इससे खेत की उर्वरता और आगामी फसल, दोनों को भारी नुकसान होता है. यही वजह है कि खरीफ की फसलें बरबाद होने के बाद पंजाब के किसानों के सामने रबी की फसलों का भी संकट है. क्योंकि खेतों से सिल्ट हटाना ना तो इतना आसान और ना ही ये इतनी जल्दी हट पाएगी.
पंजाब में अभी भी अधिकतर कृषि भूमि जलमग्न ही है और ऊपर से रबी का सीजन भी नजदीक आ गया है. खेतों में जमा पानी पहले सूखने में ही हफ्तों का वक्त लेने वाला है. इसके बाद फिर खेतों से गाद हटाने का सिलसिला जारी होगा. इसके लिए पंजाब सरकार ने किसानों को खेत से रेत हटाने की अनुमति भी दे दी है और साथ ही किसान इस रेत को बेच भी सकते हैं. मगर समस्या ये है कि खेतों से सिल्ट हटाने के लिए ट्रैक्टर, जीसीबी और अन्य मशीनें लगेंगी जो किसानों के लिए बहुत खर्चीला साबित होने वाला है. इसके बाद भी खेतों से सिल्ट पूरी तरह नहीं हटेगा और इसकी एक पतली परत मिट्टी पर रह ही जाएगी.
दिक्कत की बात ये है कि इतना करने के बाद भी जुताई और फिर रबी की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करने में इतना वक्त लग जाएगा कि तब तक रबी सीजन की बुवाई बेहद लेट हो चुकी होगी. बता दें कि रबी की फसलों के लिए अक्टूबर से बुवाई शुरू हो जाती है. लेकिन अभी पंजाब में जो हालात हैं, उस हिसाब से खेतों को रबी फसल के लिए आने वाले 20 दिनों में किसी भी सूरत में तैयार नहीं किया जा सकता. समझने वाली बात ये भी है कि अभी पंजाब में करीब 2 लाख हेक्टेयर की खेती डूबी है. अगले एक महीने के भीतर किसान दिन-रात लगकर भी खेतों से सिल्ट हटा लेते हैं तो भी कम से कम 1 लाख हेक्टेयर की कृषि भूमि पर रबी की बुवाई हो पाना लगभग नामुमकिन है.
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