झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं ड्रोन दीदी बनकर अपने सपनों में नई उड़ान भर रही है. इसके जरिए ना सिर्फ वो राज्य के कृषि की तस्वीर बदल रही है बल्कि आर्थिक तौर पर सशक्त बनकर घर और समाज में अपना अलग और खास स्थान बना रही है. झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत पालाजोरी प्रखंडी की पहली ड्रोन दीदी बीणा कुमारी भी उन्हीं दीदियों में से एक है जो ड्रोन के जरिए अपने जीवन को और बेहतर बनाने के साथ कृषि और किसानों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है. बीणा कुमारी बतातीं है कि अभी ड्रोन चलाने में वो एक्सपर्ट नहीं हुई हैं इसलिए घर के खेतों में छिड़काव करके अच्छे से सीख रही हैं. इसके बाद दूसरे किसानों के खेत में छिड़काव करेंगी.
पोखरिया गांव के किसान भी खुश हैं कि उन्हें अपने खेत में कीटनाशक और दवाओं का छिड़काव करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. उनके गांव में ड्रोन दीदी मिल गई है. बता दें की देवघर का पालाजोरी प्रखंड खेती-बारी के लिए जाना जाता है. यहां के 25 पंचायतों में जमकर खेती होती है. प्रखंड के एफपीओ पालाजोरी फार्मस प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड में फिलहाल 600 किसान जुड़े हुए हैं. इन सभी किसानों के खेतों में अब छिड़काव करने के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. हालांकि अभी बीणा कुमारी ड्रोन के संचालन में पूरी तरह से परिपक्व नहीं हुई है इसलिए सिर्फ अपने खेतों में छिड़काव करती हैं.
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ग्रामीण विकास में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद बीणा कुमारी नौकरी करना चाहती थीं लेकिन नौकरी नहीं मिल पाई फिर वो स्वयं सहायता समूह से जुड़ गई. ड्रोन दीदी के तौर पर चयन किए जाने को लेकर बात करते हुए बीणा कुमारी ने बताया कि उनके समेत तीन और महिलाओं को जेएलएपलीएस ऑफिस देवघर बुलाया गया. जहां पर इंटरव्यू के बाद उनका चयन किया गया. चयन होने के बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए पूसा समस्तीपुर भेजा गया. फिर रांची में तीन दिनों की ट्रेनिंग हुई. इसके बाद फिर मोतीहारी में ट्रेनिंग हुई. इस तरह से जनवरी 2024 में बीणा कुमारी ड्रोन दीदी बन गई.
बीणा बतातीं है कि ड्रोन से छिड़काव करने के फायदे के बारे में जानने के बाद कई किसान उनसे आकर खेतों में छिड़काव करने के लिए कह रहे हैं. एक एकड़ में छिड़काव के लिए 500 रुपये की फीस रखी गई है. लेकिन ड्रोन में बैटरी की समस्या के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि ड्रोन की बैटरी 15 मिनट में खत्म हो जाती है. इसलिए दूर खेतों में जाकर वो छिड़काव नहीं कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें कम से कम एक और बैटरी की जरूरत है. साथ ही कहा कि ड्रोन को खेतों तक ले जाने के लिए दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर इसे खेतों तक पहुंचाने के लिए एक ई रिक्शा मिल जाता तो उन्हें काम करने में आसानी होती. हालांकि आज वो गर्व से कहती हैं कि ड्रोन उन्हें लखपति दीदी बनाएगा.
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पालाजोरी फार्मस प्रोड्यूसर कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर काम करने वाली बीणा कुमारी बताती है कि ड्रोन का इस्तेमाल उनके क्षेत्र की कृषि में क्रांति ला सकता है. क्योंकि ड्रोन के इस्तेमाल से पानी, समय और कीटनाशक की बचत होती है. एक एकड़ में छिड़काव करने के लिए 7-8 मिनट का समय लगता है. ड्रोन का इस्तेमाल का एक और फायदा यह है कि इससे खेत में छिड़काव एक सामान होता है और असरदार होता है. इसमें कीटनाशक या दवा की बर्बादी नहीं होती है. बूंदे छोटी होती है इसलिए पत्तियों पर जाकर चिपक जाती है, इससे अधिक पौधों को अधिक फायदा होता है.