भाजपा विधान पार्षद सदाभाऊ खोत ने दावा किया है कि किसानों को गौरक्षकों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. MLC ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं की गई तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे. हालांकि, उनकी पार्टी के सहयोगी और महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने खोत से गौरक्षकों की आलोचना करते समय संयम बरतने की अपील की. खोत ने दावा किया कि सोमवार दोपहर को पुणे के पास फुरसुंगी में कुछ गौरक्षकों ने उन पर हमला किया, हालांकि वह सुरक्षित बच गए.
भाजपा विधान पार्षद खोत ने आरोप लगाया कि गौरक्षक जबरन वसूली करने वाले लोग हैं और किसानों को धमका रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष उठाएंगे. रयत क्रांति संगठन (किसान संगठन) के प्रमुख खोत ने पुणे में संवाददाताओं से कहा, "गौ रक्षा की आड़ में राज्य में एक बड़ी लॉबी सक्रिय है. यहां तक कि उनके कॉर्पोरेट कार्यालय भी हैं. किसान उनके कारण पीड़ित हैं. अगर सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो हम पुलिस थानों के सामने पशु शिविर स्थापित करेंगे.
वहीं दूसरी ओर भाजपा MLC खोत की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने कहा, "सदाभाऊ खोत को गौरक्षकों के खिलाफ बोलते समय अपनी भाषा में नरमी बरतनी चाहिए, क्योंकि वे गायों की रक्षा में लगे हुए हैं. उन्हें ऐसे बयान नहीं देने चाहिए, जिन्हें हिंदू समुदाय का अपमान माना जाए." खोत ने आरोप लगाया कि दो महीने पहले कुछ किसानों की भैंसों को जबरन ले जाया गया और बाद में फुरसुंगी की एक गौशाला से गायें गायब हो गईं.
खोत ने आरोप लगाया कि किसानों को अपने मवेशियों की रिहाई का आदेश पाने के लिए अदालत जाना पड़ा, लेकिन जब वे गौशाला गए, तो जानवर गायब थे. गौरक्षकों ने टालमटोल वाला जवाब देते हुए कहा कि भैंसें चरते हुए पहाड़ियों में भटक गई थीं. ऐसे मामलों में किसानों को न तो न्याय मिलता है और न ही उनकी समस्याओं का समाधान होता है. एमएलसी ने आगे दावा किया कि कुछ लोग मुंबई और पुणे से लक्जरी वाहनों में आते हैं और गोरक्षा के नाम पर काम करते हैं. खोत ने कहा, "जिन शहरों में गायें कम ही दिखती हैं, वहां ये तथाकथित गौरक्षक उनकी रक्षा करने का दावा करते हैं. किसानों के वाहन रोके जाते हैं, उनकी पिटाई की जाती है और उनके मवेशियों को जब्त कर लिया जाता है. यह सब बंद होना चाहिए." उन्होंने आगे कहा कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री फडणवीस के समक्ष उठाएंगे.
खोत ने आगे कहा कि ये "तथाकथित" गौरक्षक ईमानदार नहीं हैं. चार दिन पहले सोलापुर ज़िले के संगोला में विधायक ने दावा किया था कि ये "तथाकथित" गौरक्षक ईमानदार नहीं हैं. ये उन किसानों को परेशान करते हैं जो अपने मवेशियों को बाज़ार ले जाते हैं और किसानों को पुलिस के पास ले जाने की धमकी देकर उनसे जबरन वसूली करते हैं. खोत ने आरोप लगाया कि अगर किसान ऐसे गौरक्षकों को रिश्वत नहीं देते हैं, तो वे उन्हें पुलिस थाने ले जाते हैं और अगर कोई समाधान नहीं निकलता है, तो मवेशियों को किसी गोशाला में स्थानांतरित कर दिया जाता है और किसान के पास अदालत जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है. जब तक मवेशियों को छोड़ने का आदेश मिलता है, तब तक गोशाला के प्रबंधक मवेशियों को बेच देते हैं.
उन्होंने गौशालाओं में पशुओं की संख्या के बारे में पुलिस के बयान में विसंगतियां होने का भी दावा किया और कहा कि कोई प्रभावशाली व्यक्ति गौरक्षकों का समर्थन कर रहा है. उन्होंने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. खोत ने कहा कि कृषि हमारे लिए पहले से ही घाटे का सौदा है. अब गौरक्षक किसानों को धमकाकर और भी परेशानी पैदा कर रहे हैं. वे जबरन वसूली करने वाले लोग हैं. अगर उन्हें गायों की भलाई की इतनी चिंता है, तो उन्हें किसानों की गौशाला में आकर काम करना चाहिए.
(सोर्स- PTI)
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