FCI न‍िदेशक का दावा:- अच्छी स्थिति में है गेहूं की फसल सामान्य रहेगी सरकारी खरीद

FCI न‍िदेशक का दावा:- अच्छी स्थिति में है गेहूं की फसल सामान्य रहेगी सरकारी खरीद

अधिक रकबे और बेहतर उपज के कारण चालू फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 112.18 मिलियन टन होने का अनुमान है. भारतीय खाद्य निगम (FCI)  के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने कहा है कि गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है और सरकारी खरीद सामान्य होगी.

चालू फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 112.18 मिलियन टन होने का अनुमानचालू फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 112.18 मिलियन टन होने का अनुमान
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Feb 23, 2023,
  • Updated Feb 23, 2023, 10:12 AM IST

कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, अधिक रकबे और बेहतर उपज के कारण चालू फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 112.18 मिलियन टन होने का अनुमान है. हालांकि, प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस महीने के दौरान तापमान में वृद्धि फिर से कृषि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बन गई है. वही 2021-22 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन पिछले वर्ष असमान्य रुप से रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के कारण 109.59 मिलियन टन से घटकर 107.74 मिलियन टन हो जाने के बाद सरकार ने पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब भारतीय खाद्य निगम (FCI)  के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने कहा है कि गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है और सरकारी खरीद सामान्य होगी.

'अभी अच्छी स्थिति में है गेहूं की फसल'

दरअसल, भारतीय खाद्य निगम (FCI)  के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने कहा है कि मार्केटिंग सीजन 2023-2024 के दौरान सरकार को लगभग 30-40 मिलियन टन गेहूं की खरीद की उम्मीद है, यह कहते हुए कि गेहूं की फसल अभी अच्छी स्थिति में है. मीणा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, “गेहूं का बोया गया रकबा पिछले साल की तुलना में अधिक है. गेहूं की फसल की मौजूदा स्थिति काफी अच्छी है. हमारी खरीद 2023-24 में 300-400 लाख टन पर सामान्य होनी चाहिए.”

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गेहूं की कम हुई थी खरीदारी

पिछले साल, केंद्रीय पूल के लिए गेहूं की खरीद मार्केटिंग सीजन 2021-22 में 43.3 मीट्रिक टन से घटकर 18.79 मीट्रिक टन हो गई थी, क्योंकि गर्मी जल्दी शुरू हो गई थी, जिसके कारण उत्पादन में गिरावट आई और कमोडिटी की निजी खरीद में वृद्धि हुई. इससे गेहूं की कीमत में असामान्य वृद्धि हुई. नतीजतन केंद्र सरकार को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. एफसीआई, जो कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनाजों की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी है, पहले ही थोक खरीदारों को गेहूं बेचने के लिए तीन ई-नीलामी कर चुकी है.

गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों पर नियंत्रण 

वहीं गेहूं और गेहूं के आटे (आटा) की खुदरा कीमतों को कम करने के लिए ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री की जा रही है. खुदरा गेहूं की कीमतों को और कम करने के लिए, सरकार ने हाल ही में थोक उपयोगकर्ताओं को पेश किए जाने वाले एफसीआई गेहूं के रिजर्व मूल्य को कम कर दिया है. मीणा ने आगे कहा कि एफसीआई के पास अपने केंद्रीय पूल रिजर्व के लिए कम से कम 9.3-9.5 मीट्रिक टन गेहूं होगा, जो कि केंद्रीय पूल रिजर्व के लिए जरूरी 2 मीट्रिक टन अधिक है. 1 अप्रैल, 2023 के लिए बफर आवश्यकता 74 लाख टन है.

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चौथे दौर की ई-नीलामी एक मार्च को होगी

सरकार ने उचित और औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) वाले गेहूं का रिजर्व मूल्य भी घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जबकि अंडर रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशंस (यूआरएस) गेहूं के लिए 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. 

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