तेलंगाना सरकार ने रबी सीजन के दौरान धान खेती करने वाले किसानों से धान खरीदने के लिए राज्य भर में 7,000 धान खरीद केंद्र खोलने का फैसला किया है. वहीं, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मुख्य सचिव ए शांति कुमारी से खरीद शुरू करने के उपाय करने को कहा है. देश में इस साल रबी सीजन में धान का रकबा 32 फीसदी बढ़कर 46.25 लाख हेक्टेयर हो गया है. जिसमें से सबसे ज्यादा रकबा तेलंगाना राज्य में है. यहां लगभग 19 लाख हेक्टेयर में धान की फसल उगाई गई है, इसके बाद तमिलनाडु में 12.21 लाख हेक्टेयर और आंध्र प्रदेश में 5.51 लाख हेक्टेयर में फसल उगाई गई है.
ध्यान देने वाली बात यह है कि धान की खरीदारी के लिए राज्य सरकार पूरे तेलंगाना में 7,000 खरीद केंद्र खोलेगी. हालांकि, राज्य को मिलिंग के मुद्दे का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि मिलें 2022-23 खरीफ के स्टॉक और 2021-22 सीजन के बचे हुए स्टॉक से भरी हुई हैं.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 खरीफ सीजन से खरीदे जाने वाले 1.12 करोड़ टन धान में से अब तक 13,371 करोड़ रुपये मूल्य का कुल 65 लाख टन धान खरीदा गया है. 2021-23 खरीफ और रबी सीजन से, राज्य में लगभग 20 लाख टन अनमिल्ड धान का बैकलॉग है. हालांकि, राज्य सरकार रबी सीजन 2021-22 से धान की मिलिंग और डिलीवरी की समय सीमा बढ़ाने पर सहमत है, लेकिन केंद्र ने समय सीमा बढ़ाने से इनकार कर दिया है. मिलों की खरीद के बढ़े हुए लेवल को पूरा करने में सक्षम नहीं होने के कारण, केंद्र ने केंद्रीय पूल में मिलिंग और चावल की डिलीवरी में देरी से बचने के लिए राज्य को मिलिंग क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया है.
इसे भी पढ़ें- Monsoon Updates: खेती के लिए जरूरी खबर, जानिए किन राज्यों में होगी अच्छी बारिश और कहां कम
इस बीच, केंद्रीय पर्यटन मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जी किशन रेड्डी ने वाणिज्य और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल से तेलंगाना से कम से कम 15 लाख टन चावल खरीदने की अपील की है. हालांकि, केंद्र सरकार ने यह कहते हुए तेलंगाना से उसना चावल खरीदने से इनकार कर दिया है कि इस किस्म के चावल का कोई खरीदार नहीं है. हाल ही में, केंद्र ने राज्य सरकार को आगाह किया था कि वह राज्य से केवल कच्चा या समान्य चावल खरीदेगी, यह दर्शाता है कि उसना चावल पर दरवाजे बंद हैं यानी केंद्र सरकार उसना चावल नहीं खरीदेगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मिलिंग प्रक्रिया में टूटे हुए चावल के प्रतिशत को कम करने के लिए मिलें आमतौर पर धान को आंशिक रूप से उसना करना पसंद करती हैं. चूंकि मार्च और अप्रैल में अनाज को अत्यधिक तापमान का सामना करना पड़ता है. वहीं, टूटे हुए चावल का प्रतिशत खरीफ मौसम की तुलना में बहुत अधिक होता है. इसी के मद्देनजर, घाटे को कम करने के लिए, मिलें उसना चावल का उत्पादन करना पसंद करती हैं, जिसका उपयोग केवल कुछ राज्यों में ही किया जाता है.
इसे भी पढ़ें- Ground Report: तय वक्त से दस दिन बाद भी क्यों शुरू नहीं हुई गेहूं की खरीद?