हिल इंडिया लिमिटेड, जिसको हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड भी कहा जाता है, भारत सरकार की एक कंपनी है और किसानों को खेती की दवाइयां और कीटनाशक देने के लिए जानी जाती है. इस कंपनी ने अब एक नया और बड़ा काम शुरू किया है. कंपनी अब पूरे भारत में किसानों के लिए अलग-अलग फसलों की अच्छी क्वालिटी वाले बीजों को तैयार करेगी और उन्हें किसानों तक पहुंचाएगी. भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने हिल इंडिया लिमिटेड को बीज बनाने वाली एक बड़ी राष्ट्रीय संस्था (NLA) का दर्जा दे दिया है. अब हिल इंडिया भी NSC, कृभको और इफको जैसी बड़ी संस्थाओं की तरह काम करेगी. कंपनी यह काम सरकार की खास योजनाओं जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए करेगी.
हिल लगभग सभी खास किस्मों के बीज बना रही है, ताकि किसानों को हर तरह के बीज मिल सकें. मुख्य फसलें यह हैं: चावल, मक्का, गेहूं, जौ चना, मूंग, मसूर, अरहर, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, तोरी और सरसों, भिंडी, मटर, धनिया, पालक, कद्दू मक्का, बाजरा, लोबिया, जई और बरसीम वगैरह.
कंपनी अभी तीनों तरह के बीज— ब्रीडर, फाउंडेशन और प्रमाणित बीज तैयार कर रही है. यह काम भारत के 10 बड़े राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक में हो रहा है. इसके अलावा, उत्तर-पूर्वी भारत के 7 पहाड़ी राज्यों में भी सरकार के 'बीज मिनीकिट कार्यक्रम' के तहत ये बीज भेजे जा रहे हैं. हिल ने किसानों तक बीज आसानी से पहुंचाने के लिए पक्का इंतजाम किया है. बीज सीधे राज्यों के कृषि विभागों और राज्यों की बीज कंपनियों को दिए जाएंगे. जिले में प्राइवेट बीज बेचने वाले डीलरों के जरिए भी किसानों को सीधे बीज मिलेंगे. जहां खाद (उर्वरक) मिलती है, उन दुकानों से भी बीज दिए जाएंगे.
किसानों को हमेशा सबसे नए और अच्छे बीज मिलें, इसके लिए हिल ने देश की बड़ी खेती-बाड़ी अनुसंधान संस्थाओं (ICAR) और यूनिवर्सिटी के साथ हाथ मिलाया है. इससे कंपनी को मूंगफली, सोयाबीन, गेहूं, चना और सब्जियों की सबसे नई किस्मों के 'ब्रीडर बीज' मिल जाते हैं, जिनसे वे आगे और बीज तैयार करते हैं.
बीज बेचने के साथ-साथ, हिल का बीज विभाग किसानों के लिए ट्रेनिंग भी चलाएगा. इन कार्यक्रमों में किसानों को बीज बनाने का सही तरीका, बीज की जांच और मंजूरी (Certification) कैसे होती है, फसलों का बचाव कैसे करें, कीड़ों से बचाव के तरीके (IPM) और नर्सरी की देखभाल जैसी जरूरी बातें सिखाई जाएगी.
इसकी स्थापना मार्च, 1954 में की गई थी. उस समय इसका मुख्य काम भारत सरकार के 'राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम' (मलेरिया को खत्म करने का अभियान) के लिए डीडीटी दवा की आपूर्ति करना था. बाद में, कंपनी ने किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए खेती में काम आने वाले कृषि रसायनों के क्षेत्र में भी कदम रखा. कंपनी लगातार आगे बढ़ी और साल 2022-23 में 214.87 करोड़ रुपये का कारोबार) किया.
आज के समय में, कंपनी किसानों को सिर्फ कृषि रसायन ही नहीं दे रही है, बल्कि उसने बीजों का काम भी शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं, हाल ही में कंपनी ने उर्वरकों (खाद) का कारोबार भी शुरू किया है. कंपनी का लक्ष्य है कि किसान समुदाय को खेती-किसानी की सभी जरूरतें खाद, बीज और दवा एक ही जगह पर मिल सकें.