राजस्थान के चूरू जिले के तारानगर विधानसभा क्षेत्र में एक नायाब भेड़ का बच्चा (मिंडा) यानी मेमना, इन दिनों चर्चाओ में है और इस मेमने कि चर्चा गांव ही नही बल्कि आस-पास के जिलों में भी है. जिसके चलते यहां मिंडा (भेड़ का बच्चा) ग्रामीणों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. अमूमन 8 से 10 हजार रुपए में बिकने वाले इस मिन्डे की अब तक 1 करोड़ रुपए की बोली लग चुकी है और उससे भी दिलचस्प बात ये है कि इस मेमने का मालिक चरवाहा फिर भी इसे बेचने को तैयार नही है. दरसल पिछले करीब 25 वर्षो से चरवाहे का काम कर रहे राजू सिंह को भी ये पता नही था कि अक्सर वह हर रोज जिन बकरी और भेड़ के रेवड को चराने जाते हैं. एक दिन वही भेड़ और बकरी उसके लिए नायाब बन जायेंगे.
चरवाहे राजू सिंह ने बताया कि उनके यहां करीब एक साल पहले एक मादा भेड़ ने बच्चे को जन्म दिया था. आज उसी मादा भेड़ के बच्चे की बोली लोगो ने 70 लाख से शुरू की और एक करोड़ रुपए तक लगा दी. बावजूद इसके वह इसे बेचने को तैयार नही है.
चरवाहा राजू सिंह बताते हैं कि मेमने के पेट पर उर्दू में कुछ लिखा हुआ है, जिसे वह भी नहीं समझ पाए जिसके बाद उन्होंने गांव के कुछ मुस्लिम समाज के बड़े बुजुर्गों को दिखाया तो उन्होंने मेमने के पेट पर 786 लिखा बताया, जो मुस्लिम समाज के लिए अहम होता है. वहीं राजू सिंह ने बताया कि जिसके बाद से इस मेमने की कोई 70 लाख देने को तो कोई एक करोड़ रुपए देने को तैयार है. लेकिन, मैं जान से प्यारे इस मेमने को नहीं बेचूंगा.
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जब से इस मेमने कि कीमत लाखों,करोड़ो रुपए लगी हैं, उसके बाद से इसकी जिंदगी बदल गयी है. वहीं उस मेमने को समूह के रहने वाले अन्य मेमनों से अलग रखा जाने लगा है. इसके अलावा इसके खान-पान का भी बेहतर ख्याल रखा जा रहा है. इस मेमने को अब डाइट में अनार, पपीता, बिंदोला, बाजरा और हरी सब्जियां खिलाई जा रही है. करोड़ो में कीमत लगने के बाद इस मेमने कि सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखा जाने लगा है. इसे राजू सिंह अपने परिवार के साथ घर के अंदर रखते हैं.