शहरी घर में रखकर भी पाले जा सकते हैं बकरीद के लिए बकरे, जरूरी नहीं मैदान में चरने जाएं

शहरी घर में रखकर भी पाले जा सकते हैं बकरीद के लिए बकरे, जरूरी नहीं मैदान में चरने जाएं

सीआईआरजी के एक्सपर्ट की मानें तो संस्थान ने बकरियों के लिए शेड के कुछ इस तरह के मॉडल तैयार किए हैं जिसमे ऊपर बकरे-बकरी और नीचे उनके बच्चों को रखा जा सकता है. इससे भी जगह की बचत होती है. एक बड़े और खुले घर में इस मॉडल को रखकर भी बकरे पाले जा सकते हैं.

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शहरी घर में रखकर भी पाले जा सकते हैं बकरीद के लिए बकरे, जरूरी नहीं मैदान में चरने जाएंबकरियों का प्रतीकात्मक फोटो- फोटो क्रेडिट-किसान तक

साल में एक बार बकरीद वो मौका होता है जब बकरे आम दिनों के मुकाबले काफी अच्छे रेट पर बिक जाते हैं. बकरीद पर बिकने वाले बकरों से मुनाफा भी तगड़ा होता है. लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि पशु पालन सिर्फ गांव-देहात में ही किया जा सकता है. क्योंकि शहर में तो पशुओं को चराने के लिए जगह ही नहीं है. खासतौर पर बकरा पाला तो बिना हरे चारे के तो वो पल ही नहीं पाएगा. बिना मैदान में जाए तो मोटा-ताजा नहीं बनेगा. जबकि ऐसा नहीं है. 

बकरों की कुछ खास नस्ल और चारे को लेकर हुई रिसर्च के बाद अब बकरे को खूंटे से बांधकर भी पाला जा सकता है. अगर इसके लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा की गाइड लाइन का ही पालन कर लिया जाए तो घर के आंगन में या छत पर पालकर भी बकरे से मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है.  

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ऐसे ही नहीं शहरी बकरी कही जाती है बरबरी नस्ल

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और बरबरी नस्ल के एक्सपर्ट एमके सिंह ने किसान तक को बताया कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन 9 महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. अगर सिर्फ मैदान या जंगल में चराई पर ही रखा जाए तब भी एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.

सिर्फ खूंटे पर ही बांधा तो पल जाएगा ये बकरा  

सीआईआरजी में बकरी पालन मैनेजमेंट के गुर सिखाने वाले डॉ. एसके दीक्षित ने किसान तक को बताया कि बकरियों में कुछ नस्ल ऐसी हैं जिन्हें फार्म में रखकर भी पाला जा सकता है. जैसे बरबरी, सिरोही और सोजत नस्ल के बकरे और बकरियों को फार्म में पालकर बेहतर रिजल्ट लिए जा सकते हैं. बरबरी नस्ल‍ के बकरे और बकरियों को तो टाउन गोट यानि शहर की बकरी भी कहा जाता है. फार्म में रखकर स्टाल फीड देने से ही तीनों नस्ल के बकरे ज्यादा वजन तक के हो जाते हैं. 

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घर में पालने से तीन तरह के चारे से मिल जाती है छुट्टी 

डॉ. एके दीक्षित ने बताया कि अब तो यह परेशानी भी नहीं है कि फार्म और घर में रखकर सूखे, हरे और दानेदार चारे का अलग-अलग इंतजाम करना है. हमारे सीआईआरजी ने चारे की फील्ड में कई ऐसी रिसर्च की है कि जिसके बाद आपको बकरी के लिए तीन तरह के अलग-अलग चारे का इंतजाम करने की जरूरत नहीं है. संस्थान के साइंटिस्ट ने हरे, सूखे और दाने वाले चारे को मिलाकर पैलेट्स तैयार किए हैं. जरूरत के हिसाब से बकरे और बकरियों के सामने पैलेट्स रख दिजिए, जब पानी का वक्त हो जाए तो पानी पिला दिजिए. इसके अलावा कुछ और न खिलाने की जरूरत है और न ही पिलाने की.

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