सिंगापुर और हांगकांग में भारतीय मसालों पर उठे सवाल, एथिलीन ऑक्साइड म‍िलने के बाद उद्योग जगत ने क्या कहा? 

सिंगापुर और हांगकांग में भारतीय मसालों पर उठे सवाल, एथिलीन ऑक्साइड म‍िलने के बाद उद्योग जगत ने क्या कहा? 

दरअसल, पैकेट वाले कुछ ब्रांडेड मसालों में सेहत के ल‍िए खतरनाक एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) पाए जाने पर सिंगापुर और हांगकांग ने कुछ भारतीय मसाला ब्रांड पर रोक लगाई है. भारतीय मसाला उद्योग ने इस फैसले पर कड़ी प्रत‍िक्रिया देते हुए खाद्य सुरक्षा और निर्यात गुणवत्ता मानकों के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 18, 2024,
  • Updated May 18, 2024, 12:57 PM IST

दुनियाभर में मसालों का खूब इस्तेमाल किया जाता है. लेक‍िन जब आपको पता चले क‍ि इसमें सेहत को खराब करने वाली कोई चीज म‍िली हुई है तो आपको क‍ितना बड़ा झटका लगेगा. दरअसल, एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) की मौजूदगी के कारण अब खाने में स्वाद बढ़ाने के ल‍िए इस्तेमाल क‍िए जाने वाले मसालों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. दरअसल, पैकेट वाले कुछ ब्रांडेड मसालों में ईटीओ पाए जाने पर सिंगापुर और हांगकांग ने कुछ ब्रांड पर रोक लगाई है. इसे सेहत के ल‍िए खतरनाक बताया गया है. भारतीय मसाला उद्योग ने इस फैसले पर कड़ी प्रत‍िक्रिया देते हुए खाद्य सुरक्षा और निर्यात गुणवत्ता मानकों के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आग्रह किया है.

अखिल भारतीय मसाला निर्यातक फोरम, भारतीय मसाला और खाद्य पदार्थ निर्यातक संघ, भारतीय काली मिर्च और मसाला व्यापार संघ और भारतीय मसाला हितधारक संघ की ओर से यह आग्रह क‍िया गया है. इन संगठनों ने देश के भीतर मसालों के लिए ईटीओ उपचार की अनुमति देने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है. उन्होंने गुणवत्ता पर व‍िशेष फोकस करने के ल‍िए उद्योग जगत से आग्रह क‍िया है. बताया गया है क‍ि भारतीय मसाला में 1 प्रतिशत से भी कम मात्रा में ईटीओ का इस्तेमाल किया जा रहा हो, तब भी री-कॉल की समस्या का सामना करना पड़ता है. फ‍िलहाल, इन दोनों देशों द्वारा रासायनिक मिलावट से जुड़ी चिंताओं की वजह से अप्रैल में कुछ भारतीय मसाला ब्रांड को बैन करने की खबर है. 

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मसला न‍िर्यात पर रोक नहीं 

यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत से सिंगापुर और हांगकांग को मसाला निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जैसा कि मीडिया के कुछ वर्गों द्वारा गलत रिपोर्ट किया गया है. एआईएसईएफ के अध्यक्ष संजीव बिष्ट ने कहा कि यदि भारतीय निर्यातकों को ईटीओ उपचारित मसालों की आपूर्ति करने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो इसका वैश्विक मसाला बाजार में देश की स्थिति पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा.

ईटीओ की जरूरत क्यों 

उद्योग जगत ने ईटीओ के बारे में गलत धारणाओं को लेकर अपनी स्थ‍िति स्पष्ट की है. इस बात पर जोर दिया कि यह एक कीटनाशक नहीं है, बल्कि, एक स्टरलाइज़िंग एजेंट है, जो माइक्रोबियल संदूषण को रोकने और कम करने के लिए महत्वपूर्ण है. निर्यातकों के मंच ने ईटीओ उपचार की सुरक्षा और प्रभावकारिता पर प्रकाश डाला. जिसमें अमेरिका सहित कई देशों में इसके अनुमेय उपयोग का हवाला दिया गया, जहां इसका उपयोग खाद्य पदार्थों को कीटाणुरहित करने, खाद्य-जनित रोगजनकों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.

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