किसान बोले- फसल बीमा के लिए केस लड़ें या खेती करें और परिवार का पेट पालें

किसान बोले- फसल बीमा के लिए केस लड़ें या खेती करें और परिवार का पेट पालें

किसानों की दो-दो, तीन-तीन बार फसल बारिश और दूसरे कारणों के चलते खराब हो चुकी है. बीमा मिलता नहीं है. जिन्हेंन मिला है तो लागत की आधी रकम ही हाथ में आई है. बावजूद इसके रबी, खरीफ हर सीजन में बीमा करा रहे हैं.  

गांव की चौपाल में मौजूद पीडि़त किसान. फोटो क्रेडिट- किसान तकगांव की चौपाल में मौजूद पीडि़त किसान. फोटो क्रेडिट- किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • Noida ,
  • Apr 06, 2023,
  • Updated Apr 06, 2023, 12:31 PM IST

तीन साल सरकारी दफ्तरों में भटकने और तीन साल कोर्ट में केस लड़ने के बाद जींद, हरियाणा के किसान सूरजमल ने फसल बीमा का केस जीता है. हालांकि मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. जींद के ही खरेंटी गांव में सूरजमल जैसे और भी किसान हैं, लेकिन उनका कहना है कि हम बीमा की रकम पाने को दफ्तरों और कोर्ट के चक्कर काटें या खेती को देखें और परिवार का पेट भरें. गांव में ऐसे भी किसान हैं जिन्हें  दो-तीन बार फसल बीमा की रकम नहीं मिली है, बावजूद इसके एक उम्मीद में हर बार फसल का बीमा करा रहे हैं. 
  
जींद के खरेंटी गांव के किसानों का आरोप है कि बारिश से गेहूं की फसल खराब हो चुकी है. जिसे जो सीधा और सरल उपाय लगा उसके माध्यम से फसल खराब होने की सूचना दे दी. 27 मार्च को किसानों ने बताया कि कई दिन पहले सूचना देने के बाद भी कोई सर्वे के लिए नहीं आया है. जबकि फसल कटने में अब सिर्फ 6-7 दिन ही बचे हैं. 

बीमा कंपनी ने माना 100 फीसद खराब हुई फसल, लेकिन इसलिए नहीं दे रही मुआवजा 

पिछला बीमा मिला नहीं और फिर खराब हो गई गेहूं की फसल 

किसान सुनहरे लाल करीब 15 से 20 किल्ले जमीन पर खेती करते हैं. उनके छोटे भाई भी इसमे शामिल हैं. सुनहरे लाल ने किसान तक को बताया कि साल 2021-22 में बारिश के चलते गेहूं की फसल खराब हो गई थी. बीमा कंपनी और सरकारी दफ्तर से आए लोगों ने फसल का सर्वे भी किया था. फसल का नुकसान लिखकर ले गए थे. लेकिन न तो बीमें की किस्त भरने पर कोई कागज मिला था और ना ही जब सर्वे करने वाले आए तो उन्हों ने ही कोई कागज दिया कि कितनी फसल खराब दर्ज की गई है. 

अब इस बार फिर बारिश से 50 फीसद से ज्यादा फसल खराब हो गई है. उम्मीद थी कि 50-55 मन गेहूं घर में आ जाएगा, लेकिन फसल खराब होने के बाद 30 मन गेहूं भी निकल आए तो बड़ी बात है. बीमा की रकम न मिलने पर कोर्ट में मामला दर्ज क्यों नहीं कराया, इस बारे में सुनहरे लाल का कहना है कि जब बीते साल बीमा की रकम नहीं मिली तो दो-चार बार जरूर सरकारी दफ्तर गए थे. उसके बाद फिर कहीं नहीं गए. अब बीमा की रकम पाने को यहां से वहां चक्कर काटें या खेत में काम करें और परिवार का पेट भरें. 

Milk Price: जल्द सस्ता होगा दूध... डेयरी सचिव ने बताई रेट में कमी आने की वजह

शिकायत दर्ज कराने को फोन लगाओं तो उठता नहीं है 

किसान दिलबाग ने बताया कि मुझे फोन चलाना नहीं आता है. मैंने तो फसल खराब होने पर सरकारी दफ्तर जाकर ही फार्म भरकर ही शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन अपने गांव के दूसरे लोगों को देखता हूं कि कई-कई घंटे वो मोबाइल पर लगे रहते हैं, लेकिन फोन उठता ही नहीं है. इसलिए मैं फोन का भरोसा भी नहीं करता हूं. दिलबाग की इस शिकायत की सच्चाई जानने के लिए कैमरे के सामने टोल फ्री नंबर पर खराब फसल की सूचना देने और अन्य जानकारी के लिए फोन लगाया गया तो दोनों बार फोन को होल्ड पर डाल दिया गया और कुछ देर बाद खुद से ही कट गया.   

ये भी पढ़ें-  

खुरपका-मुंहपका के टीकाकरण में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, पढ़ें पूरी डिटेल 

आधा एकड़ जमीन पर 39 तरह की फसलें उगा रहा क‍िसान...

MORE NEWS

Read more!